सागर

तस्वीरें बताती हैं झील में प्रदूषण की हकीकत, अधिकारी बोले: दो साल से विसर्जन ही नहीं हुआ

गणेशोत्सव पर चकराघाट समेत चारों ओर हजारों प्रतिमाओं का विसर्जन, हवन-पूजन सामग्री झील में डाली गई थी

सागरOct 29, 2017 / 02:20 pm

Rajesh Kumar Pandey

Photos show the reality of pollution in the lake officials say: it has

सागर. मप्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीपीसीबी) के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारियों ने शहर की जनता, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और राज्य शासन की आंख पीसीबी के अधिकारी देवी व गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के पहले व बाद में हर वर्ष नियमानुसार लाखा बंजारा झील के पानी का सैम्पल लेते थे। उसमें प्रदूषण की जांच करते थे लेकिन पिछले दो वर्ष से पीसीबी ने ऐसा नहीं किया है। अधिकारियों की दलील है कि झील में पिछले दो वर्ष से प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हो रहा है, क्योंकि नगर निगम प्रशासन श्रद्धालुओं के लिए दो वर्ष से विसर्जन कुंड बनवा रहा है।
पीसीबी के अधिकारी भले ही दावे कर लें, लेकिन शहर का हर व्यक्ति जानता है कि गणेशोत्सव एवं नवरात्रि पर्व के समापन पर झील में प्रतिमाओं का विसर्जन हुआ था। गणेशोत्सव पर चकराघाट समेत चारों ओर हजारों प्रतिमाओं का विसर्जन, हवन-पूजन सामग्री झील में डाली गई थी। इसके बावजूद पीसीबी के अधिकारी दफ्तर में ही खोखली रिपोर्ट तैयार करने में लगे हैं। नवरात्रि पर छोटी दुर्गोत्सव समितियों ने भी झील में ही प्रतिमाओं का विसर्जन किया था। पत्रिका ने गणेशोत्सव के समापन पर पांच सितंबर को झील में पानी की कैसी स्थिति रही, इसको अपने कैमरे में कैद किया था।
झील के किनारे जम गई हरे रंग की परत
गणेशोत्सव व नवरात्रि पर्व पर प्रतिमाएं तो वहीं मुहर्रम पर ताजिया झील में ही ठंडे होते हैं। हैरानी की बात यह है कि पीसीबी के अधिकारी साफ तौर पर मुकर रहे हैं कि झील में विसर्जन नहीं होता। पत्रिका ने शनिवार को झील के पानी की वास्तविक स्थिति देखी तो हालात चौंकाने वाले मिले। झील के चारों ओर किनारों पर गहरे हरे रंग की मोटी परत जम गई है और झील का पानी क्षारीय होता जा रहा है। हालांकि साल में कुछ मौके पर पीसीबी अब भी सैम्पल लिए जाने की बात कर रहा है।
चार बार लेते हैं सैंपल
गणेशोत्सव पर्व के पहले व समापन पर पानी का सैम्पल
दुर्गोत्सव पर्व के पहले व समापन पर पानी का सैम्पल
लेहदरा नाके की स्थिति भी सामान्य!
पीसीबी के क्षेत्रीय कार्यालय में पदस्थ वैज्ञानिक संजय जैन ने बताया कि टीम ने लेहदरा नाका स्थित बड़ी नदी के पानी का सैंपल लिया था, जहां इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में कोई खास अंतर नहीं आया है। निगम प्रशासन द्वारा बांध बनाकर पानी को रोका जाता है और फिर उसके बाद विसर्जन सामग्री को निकाल लिया जाता है जिसके कारण बड़ी नदी में प्रदूषण की ज्यादा मात्रा नहीं पाई गई है।
& झील में पिछले दो सालों से प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं हो रहा है। इससे पर्व के दौरान लिए जाने वाले सैम्पल नहीं ले रहे हैं। निगम प्रशासन दूसरी जगहों पर विसर्जन स्थल बना रहा है और सभी लोग वहीं पर प्रतिमाओं का विसर्जन कर रहे हैं।
संजय जैन, वैज्ञानिक, पीसीबी
 

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