इन सामग्री की होती है मिलावट
जानकारों की मानें तो मिल्क व अन्य पाउडर, चूना, चॉक और सफेद केमिकल्स, दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और वनस्पति घी मिलाकर नकली मावा बनाया जाता है। कुछ लोग सिंथेटिक दूध बनाने के लिए मामूली वॉशिंग पाउडर, रिफाइंड तेल, पानी और शुद्ध दूध को मिलाते हैं, इससे एक लीटर शुद्ध दूध से 20 लीटर सिंथेटिक दूध बन जाता है और इस दूध से मावा तैयार हो जाता है। मावा में शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, मैदा या आलू भी मिलाते हैं। यह मावा जानलेवा भी हो सकता है।बाजार में इस समय करीब 400 से 450 रुपए किग्रा मावा बेचा जा रहा है, कुछ दुकानदार सस्ता भी बेच रहे हैं, इसमें मिलावट की आशंका बनी रहती है। शरद पूर्णिमा की पूजा के लिए लोग दुकानों से ही मावा खरीदकर ले जाते हैं, जबकि महिलाएं पूजा के पहले घर पर ही दूध से मावा बना सकतीं हैं, जो ताजा होगा और केमिकल फ्री होगा।
पहचानने के ये हैं तरीके
-असली मावा मुलायम और नकली दरदरा रहता है।-खाने पर असली मावा मुंह में चिपकेगा नहीं जबकि नकली चिपक जाएगा।
-मावा की गोली बनाने पर वह फटने लगे तो मिलावटी है।
-थोड़े से मावा को रगड़ें, इसमें घी की सुगंध आए तो असली है।
-असली मावा खाने पर कच्चे दूध जैसा स्वाद आता है।
-चीनी डालकर गरम करने से पानी निकले तो यह नकली है।
-असली पानी में जल्दी घुल जाएगा, नकली नहीं।
-चिपचिपा लगे तो मिलावटी है, असली मुलायम होता है।
-पानी में मावा घोलने से यदि दानेदार टुकडों में अलग हो जाए तो नकली है।
डॉ. राजेश पटेल, गैस्ट्रोलॉजिस्ट बीएमसी।