ऑटो यूनियन के सदस्यों का कहना है कि इ-रिक्शा चालक स्टेशन आकर सवारी छोड़ते हैं और तत्काल सवारी लेकर शहर जाने के लिए तैयार रहते हैं। जबकि ऑटो यूनियन के सदस्य तीन-तीन घंटे तक अपना नंबर आने का इंतजार करते हैं। इस हिसाब से उनके लिए नुकसान होता है।
इस प्रकार की स्थिति से ईंधन से चलने वाले ऑटो और इ-रिक्शा चालकों का भी नुकसान हो रहा है। इ-रिक्शा के स्टेशन परिसर से बाहर खड़े होने के कारण कई यात्री अंदर से बाहर तक पैदल आ जाते हैं और जल्दी जाने के लिए इनमें सवार हो जाते हैं। साथ ही इ-रिक्शा चालक ज्यादा सवारी मिलने का भी इंतजार नहीं करते हैं और शहर तक सवारी लेकर आ जाते हैं।