सागर के स्वास्थ्य विभाग की क्षेत्रीय संचालक डॉ. ज्योति चौहान ने बताया कि केसली की महिला बीते दिनों जब सीटी स्कैन व सोनोग्राफी कराने सागर आई थी, तो उसके पेट में पल रहे बच्चे के पेट में भी कुछ ट्यूमर या अविकसित भ्रूण जैसी आकृति दिखी थी। उसे जिला अस्पताल में ही प्रसव कराने की सलाह दी थी, लेकिन दो दिन पहले महिला का प्रसव केसली के सरकारी अस्पताल में हो गया।
गर्भ से बाहर आए नवजात की बीएमसी के रेडियालॉजी विभाग में जांच कराई गई, तो उसके पेट में ट्यूमर व भ्रूण जैसी कुछ चीज दिख रही है, जिसकी जांचें डॉक्टर्स कर रहे हैं। आशंका है कि बच्चे के पेट में या तो टेराटोमा ट्यूमर है और कैल्शियम जमा हो गया है या फिर भ्रूण है, क्योंकि बच्चे की आधी रीढ़ जैसी हड्डी दिख रही है।
देश में अब तक 10 मामले
एक्सपर्ट की मानें तो बच्चे के पेट में बच्चा या टेराटोमा ट्यूमर होने की स्थिति 5-10 लाख बच्चों में से किसी एक में देखी जाती है। दुनियाभर में बच्चा के पेट में बच्चा होने के मात्र 200 के आसपास केस ही सामने आए हैं, हालांकि भारत में इसके 10 से अधिक केस सामने आ चुके हैं। 2019 से 2022 के बीच देहरादून और बिहार के मोतीहारी में इस तरह के दो मामले देखे गए हैं।
फीटस इन फीटू का कारण अभी भी अज्ञात, सिर्फ थ्योरी
डॉ. ज्योति चौहान की मानें तो बच्चे के पेट में भ्रूण या बच्चा होने की स्थिति रेयर से भी रेयर है। इसका कोई पक्का कारण नहीं है लेकिन थ्योरी के अनुसार जब शुक्राणु गर्भ में एक से ज्यादा अंडे निषेचित कर देता है और जुड़वां या ट्रिप्लेट बच्चे की स्थिति में एक भ्रूण दूसरे बच्चे के अंदर बढऩे लगता है।
सेल्स बच्चे के अंदर चले जाते हैं और वह भ्रूण के रूप में विकसित हो जाते हैं। बच्चे के पेट के अंदर जो बच्चा है, वो असल में उसका जुड़वां होता है।
फीटस इन फीटू की स्थिति बेहद रेयर केस
फीटस इन फीटू की स्थिति बेहद रेयर है। लाखों में कोई एक केस ऐसा आता है जिसमें बच्चे के पेट में टेराटोमा या भ्रूण होने की स्थिति बनती है। सोनोग्राफी व सीटी स्कैन में यह स्थिति पता चल जाती है, हालांकि रिस्क न हो और डॉक्टर्स की सलाह से एमआरआई से फीटस इन फीटू की सटीक जानकारी मिल जाती है। –डॉ. ज्योति चौहान, स्त्री रोग विशेषज्ञ व क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं।