बुंदेलखंड में निर्मोही साधु, सन्यासी सहित अन्य कलाकार सभी को आनंदित करने के लिए तम्बूरा की तान पर गीत गाते हैं। तम्बूरा विशुद्ध रूप से लोक वाद्ययंत्र है और इसका वादन लोकसंगीत में भी शुमार है। नई पीढ़ी को इससे परिचित करने के लिए डॉ. हरिसिंह गौर विवि के इएमएमआरसी विभाग में तम्बूरा तान ले बन्दे डॉक्यूमेंट्री फिल्म वर्ष 2023 में बनाई थी, जिसे मुंबई में होने वाले इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन विजेता बेस्ट लोक संगीत फिल्म अवार्ड से नवाजा जा रहा है। यह अवार्ड लेने इस फिल्म में अभिनय करने वाले वरिष्ठ रंगकर्मी रवींद्र दुबे कक्का 29 दिसंबर को मुंबई जाएंगे। यह फिल्म भारतेश जैन के निर्देशन में बनाई गई है। इस फिल्म को अभी तक विभिन्न फिल्म फेस्टिवल में 18 अवार्ड मिल चुके है। यह 19 वां अवार्ड इस फिल्म को मिलने जा रहा है।
लोकसंगीत से रूबरू हो रही नई पीढ़ी
रविंद्र दुबे कक्का ने बताया कि बुंदेलखंड अंचल के बुंदेली परिवेश में यहां के लोक वाद्ययंत्र तम्बूरा पर प्रस्तुति पर यह फिल्म तैयार की गई है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को लोक-संस्कृति से रूबरू कराकर उससे जोड़ने का भी है। वर्तमान तकनीकी के विस्तार युग में लोक संस्कृति से जुड़ने का विकल्प भी इस फिल्म के निर्माण की अवधारणा बन सकी है, जो स्थानीय परंपरागत कलाकारों को जोड़कर लोक कलाओं के संरक्षण देती है।
लोकसंगीत से रूबरू हो रही नई पीढ़ी
रविंद्र दुबे कक्का ने बताया कि बुंदेलखंड अंचल के बुंदेली परिवेश में यहां के लोक वाद्ययंत्र तम्बूरा पर प्रस्तुति पर यह फिल्म तैयार की गई है। डॉक्यूमेंट्री फिल्म का मुख्य उद्देश्य नई पीढ़ी को लोक-संस्कृति से रूबरू कराकर उससे जोड़ने का भी है। वर्तमान तकनीकी के विस्तार युग में लोक संस्कृति से जुड़ने का विकल्प भी इस फिल्म के निर्माण की अवधारणा बन सकी है, जो स्थानीय परंपरागत कलाकारों को जोड़कर लोक कलाओं के संरक्षण देती है।