scriptदो लोगों के जीवन में लौटी रोशनी, शहर में पहली बार हुआ कॉर्निया ट्रांसप्लांट | Patrika News
सागर

दो लोगों के जीवन में लौटी रोशनी, शहर में पहली बार हुआ कॉर्निया ट्रांसप्लांट

बीएमसी में कॉर्निया ट्रांसप्लांट शुरू होने से हादसों व बीमारी से आंखों की रोशनी गवां देने वालों को जगी उम्मीदें सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के आई विभाग ने कॉर्निया ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया है। चार दिन पूर्व दान में मिली दो कॉर्निया को जरूरतमंद मरीज को लगा दिया गया है। यह पहला अवसर है जब […]

सागरSep 29, 2024 / 02:30 am

नितिन सदाफल

कॉर्निया ट्रांसप्लांट करते डॉक्टर्स

कॉर्निया ट्रांसप्लांट करते डॉक्टर्स

बीएमसी में कॉर्निया ट्रांसप्लांट शुरू होने से हादसों व बीमारी से आंखों की रोशनी गवां देने वालों को जगी उम्मीदें

सागर. बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के आई विभाग ने कॉर्निया ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया है। चार दिन पूर्व दान में मिली दो कॉर्निया को जरूरतमंद मरीज को लगा दिया गया है। यह पहला अवसर है जब बुंदेलखंड के किसी भी सरकारी अस्पताल में कॉर्निया ट्रांसप्लांट हुआ है। कॉर्निया ट्रांसप्लांट से क्षेत्र के दो गरीब मरीजों के जीवन में दोबारा से रोशनी लौटी है। वहीं बीएमसी में कॉर्निया ट्रांसप्लांट शुरू होने से क्षेत्र के उन जरूरतमंदों को भी उम्मीदें जगी हैं जो हादसों या बीमारियों में अपनी आंखों की रोशनी गवां चुके हैं। लाभांवित मरीजों का चयन जांच व जरूरत के अनुसार किया गया था, हालांकि गाइडलाइन अनुसार इन मरीजों का नाम गोपनीय रखा गया है।
पहली 25 तो दूसरी सर्जरी 27 सितंबर को हुई-

नेत्रदान के जरिए मिली 2 कॉर्निया को लेकर दूसरे दिन ही 12-13 मरीजों ने विभाग से संपर्क किया और 6-7 मरीज विभाग पहुंच गए। जिनमें से डॉक्टर्स ने पहले मरीज का चयन किया जिसकी दोनों आखें खराब हो चुकी थीं और 25 सितंबर को उसकी सर्जरी की गई, इसके बाद दूसरे मरीज का चयन हुआ और उसकीञ सर्जरी 27 सितंबर को की गई। सर्जरी में डॉ. प्रवीण खरे, डॉ. सारिका चौहान, डॉ. अंजली वीरानी पटेल, डॉ. नितिन कुशवाहा, डॉ. आयुषि महाजन की भूमिका रही।
जिले के सवा सौ मरीजों को होती है जरूरत-

हर साल क्षेत्र के करीब 125-130 मरीजों को आंखों की जरूरत होती है, 25 मरीज अभी भी इंतजार में हैं। बीएमसी में व्यवस्था न होने से उनके जीवन में दोबारा से उजाला नहीं होता था। बीएमसी में अभी तक जो 7 नेत्रदान हुए हैं उसका लाभ भी क्षेत्र के लोगों को नहीं मिल पा रहा था। दान में मिली आंखों को भोपाल के हमीदिया अस्पताल भेजना पड़ता था। बीएमसी में कॉर्निया ट्रांसप्लांट से अब नेत्रदान भी बढ़ने की संभावना है।
मंगलवार को हुआ था 8 वां नेत्रदान-

विगत सप्ताह बीएमसी को कॉर्निया ट्रांसप्लांट का लाइसेंस मिलने के बाद मंगलवार को वैश्य महासम्मेलन के पदाधिकारी मनीष गुप्ता की पत्नी शांति गुप्ता का नेत्रदान हुआ था। नेत्र रोग विभाग की सर्जन डॉ. अंजलि वीरानी पटेल के नेतृत्व में बीएमसी की टीम ने निजी अस्पताल जाकर स्व. शांति गुप्ता की कॉर्निया एमके मीडिया में सुरक्षित रखीं। बीएमसी में यह 8वां नेत्रदान था।
-अभी सिर्फ दमोह के एक निजी अस्पताल के कॉर्निया ट्रांसप्लांट होता है लेकिन कॉर्निया ही 35 हजार से 1 लाख रुपए तक में आती है। कॉर्निया चेन्नई व मद्रास तरफ से मंगाई जाती हैं और इसमें सालों लग जाते हैं। बीएमसी में व्यवस्था शुरू होने से क्षेत्र के मरीजों को समय पर लाभ मिलेगा।
डॉ. प्रवीण खरे, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग विभाग।
-नेत्र रोग विभाग में कॉर्निया सर्जरी के लाइसेंस के हमारी टीम ने मेहनत की, लाइसेंस मिलने के बाद जब नेत्रदान हुआ तो हमारा प्रयास था कि क्षेत्र के गरीब मरीजों के जीवन में उजाला किया जा सके। कॉर्निया ट्रांसप्लांट लोकल स्तर पर शुरू होने से क्षेत्र में नेत्रदान बढ़ेगा।
डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।

Hindi News / Sagar / दो लोगों के जीवन में लौटी रोशनी, शहर में पहली बार हुआ कॉर्निया ट्रांसप्लांट

ट्रेंडिंग वीडियो