बोवनी के समय डीएपी की किल्लत के बाद अब यूरिया खाद पर मार पड़ रही है। गेहूं की फसल खेत में लहलहा रही है और पानी के साथ यूरिया देने के लिए किसान यूरिया लेने गोदाम पहुंच रहे हैं। किसान समय पर यूरिया न मिलने के आरोप लगा रहे हैं वहीं विभाग की मानें तो जिले में पर्याप्त मात्रा में यूरिया और डीएपी मौजूद है। जनवरी माह में करीब 15000 मीट्रिक टन यूरिया की डिमांड है, लेकिन अभी विभाग के पास मात्र 9 हजार मीट्रिक टन यूरिया की उपलब्धता है। डीएपी की किल्लत के बाद जिला प्रशासन ने विपणन संघ को यूरिया की पहले से व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे, विभाग लगातार यूरिया की डिमांड भेजता रहा लेकिन जब किसानों को यूरिया की ज्यादा जरूरत है, तभी उन्हें खाद नहीं मिल पा रही है।
23 हजार मीट्रिक पहले से ही खरीद लिया
जिले में करीब साढ़े 5 लाख हेक्टेयर में गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी, जौ आदि रबी सीजन की फसलों की बोवनी हुई है। बोवनी के समय हुई डीएपी की मारामारी से सबक लेते हुए किसानों ने करीब 23 हजार मीट्रिक टन यूरिया पहले से ही खरीद लिया था। अभी विभाग के पास करीब 9 हजार यूरिया, 1100 डीएपी और 1000 मीट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है, जनवरी के लिए 5000 मीट्रिक टन की डिमांड भेजी गई है।
पूरे रबी सीजन में लगने वाला खाद
यूरिया- 45000
डीएपी- 30000
एनपीके- 8000
नोट:- खाद की मात्रा मीट्रिक टन में।
खाद की कमी नहीं
हमारे पास डीएपी, एनपीके और यूरिया पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। आगे जो यूरिया की मांग होगी, उसकी डिमांड भेजी जाएगी। शुरू में डीएपी की किल्लत हुई थी, लेकिन अब जिले में खाद की कोई कमी नहीं है।
23 हजार मीट्रिक पहले से ही खरीद लिया
जिले में करीब साढ़े 5 लाख हेक्टेयर में गेहूं, चना, मटर, मसूर, सरसों, अलसी, जौ आदि रबी सीजन की फसलों की बोवनी हुई है। बोवनी के समय हुई डीएपी की मारामारी से सबक लेते हुए किसानों ने करीब 23 हजार मीट्रिक टन यूरिया पहले से ही खरीद लिया था। अभी विभाग के पास करीब 9 हजार यूरिया, 1100 डीएपी और 1000 मीट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है, जनवरी के लिए 5000 मीट्रिक टन की डिमांड भेजी गई है।
पूरे रबी सीजन में लगने वाला खाद
यूरिया- 45000
डीएपी- 30000
एनपीके- 8000
नोट:- खाद की मात्रा मीट्रिक टन में।
खाद की कमी नहीं
हमारे पास डीएपी, एनपीके और यूरिया पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। आगे जो यूरिया की मांग होगी, उसकी डिमांड भेजी जाएगी। शुरू में डीएपी की किल्लत हुई थी, लेकिन अब जिले में खाद की कोई कमी नहीं है।
– राखी रघुवंशी, जिला प्रबंधन विपणन संघ।