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मंदिर की जमीन हड़पने के मामले में मंत्री, भाई, एसडीएम के साथ कलेक्टर भी घेरे में

जैसी नगर के बरखेड़ा महंत स्थित देवश्री जानकी रमण मंदिर की 125 एकड़ जमीन पर कब्जे का मामला…। महंत ने लगाए थे मंत्री, उनके भाई और एसडीएम पर आरोप…।
 

सागरDec 15, 2022 / 12:59 pm

Manish Gite

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सागर। जैसीनगर क्षेत्र के बरखेड़ा महंत स्थित देवश्री जानकी रमण मंदिर की 125 एकड़ जमीन का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले में अब कलेक्टर दीपक आर्य की भू भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। क्योंकि कलेक्टर दीपक आर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं। प्रशासन के हस्तक्षेप से मंदिर का संचालन एक समिति को सौंपने से नाराज साधु जगदीश दास ने मंत्री गोविंद सिंह राजपूत, उनके भाई जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत और सागर एसडीएम सपना त्रिपाठी पर मंदिर की जमीन हड़पने की साजिश के आरोप लगाए हैं।

मंदिर के व्यवस्थापक महंत जगदीश दास ने बुधवार को बयान देकर खलबली मचा दी है। उन्होंने कहा है कि 26 जनवरी 2023 तक जमीन का नामांतरण न होने पर आत्महत्या की चेतावनी दी है। इस मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत ने आरोपों को निराधार बताया है। जमीन और मंदिर के प्रबंधन को लेकर जारी खींचतान में प्रशासनिक अधिकारियों का नाम जुडऩे पर मामला गम्भीर हो गया।

 

 

कलेक्टर भी संदेह के घेरे में

इस मामले में सागर कलेक्टर दीपक आर्य की भूमिका संदेह के घेरे में है। कलेक्टर दीपक आर्य मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं। इससे पहले भी कलेक्टर की लापरवाही से भाग्योदय तीर्थ के पास करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन निजी हाथों में चली गई। इस जमीन का लम्बे समय तक अदालत में मामला चला, लेकिन कलेक्टर दीपक आर्य ने प्रशासन की ओर से कोई पक्ष नहीं रखा। केस एकतरफा होने से इसका फैसला निजी लोगों के पक्ष में हो गया। इस जमीन के खेल में कई बड़े नेता शामिल थे। कलेक्टर नेताओं के साथ मिलकर इसी तरह जीमन खुर्द-बुर्द करने का खेल-खेल रहे हैं।

 

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यह है समिति

जमीन मामले में विवाद में आए मंदिर के समिति प्रबन्धक सागर कलेक्टर दीपक आर्य, संरक्षक हीरा सिंह राजपूत, अध्यक्ष राजकिशोर तिवारी, कोशाध्यक्ष राधेश्याम शुक्ला, सचिव माखन पटेल आदि शामिल हैं।

सागर एसडीएम सपना त्रिपाठी का कहना है कि मंदिर की समिति ग्रामसभा के प्रस्ताव से बनी है। ग्राम सभा चाहे तो समिति बदल सकती है। जमीन का नामांतरण अभी किसी के नाम पर नहीं हुआ है, ना ही संपत्ति खुर्द-बुर्द की गई है। महंत को संदेह है तो वह कोर्ट में फिर अपील कर सकते हैं।

 

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जमीन हड़पने की साजिश के आरोप

बरखेड़ा महंत स्थित मंदिर की देखरेख कर रहे साधु जगदीश दास के अनुसार मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए 125 एकड़ जमीन बरखेड़ा महंत व चकेरी गांव में है। दो वर्ष पूर्व इसको लेकर एक अपील की गई थी जिसे सिविल न्यायालय द्वारा सितम्बर 2021 में निराकृत कर निरस्त कर दिया गया था। आदेश में जानकी रमण मंदिर को श्रीवशिष्ट भवन आयोध्या धाम का माना है, जबकि महंत श्रीराम विलास वेदांती के नाम से नामांतरण रिकार्ड में पंजीबद्ध है। जमीन को हड़पने प्रशासन पर दबाव बनाकर समिति का गठन कराया है। उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत पर आरोप लगाते हुए इस कार्य में उनके सहयोगी के रूप में उनके भाई एवं प्रदेश के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत व एसडीएम सपना त्रिपाठी का नाम भी लिया है। जगदीश दास का आरोप है कि एक ओर जमीन के नामांतरण की प्रक्रिया लंबित है दूसरी ओर एसडीएम के आदेश पर पुराने रिकॉर्ड को विलोपित किया जा रहा है।

यह है मामला

जैसीनगर तहसील अंतर्गत बरखेड़ा महंत गांव में स्थित देवश्री जानकी रमण मंदिर की व्यवस्थाओं के लिए 125 एकड़ जमीन लगी है। इस जमीन और मंदिर की देखरेख का दायित्व अयोध्या के वशिष्ठधाम द्वारा नियुक्त साधु जगदीशदास संभाल रहे हैं। 11 जून 2021 को मंदिर में पूजा पाठ नियम से नहीं होने का आरोप लगाते हुए गांव के कुछ लोगों ने धर्मसभा बुलाई थी। धर्मसभा के दौरान एसडीएम, तहसीलदार जैसीनगर ने मंदिर व्यवस्थाओं के संचालन के लिए एक समिति गठित की। एसडीएम सागर ने मंदिर के संचालन की जिम्मेदारी समिति को दे दी। तभी से साधु जगदीश दास व समिति के प्रमुख लोगों के बीच तनातनी चल रही है। नई समिति द्वारा मंदिर में निर्माण कार्य शुरू किए गए हैं, जबकि पूर्व से प्रबंधन संभाल रहे जगदीश दास द्वारा दो साल पूर्व प्रस्तुत आवेदन पर मंदिर की जमीन के नामांतरण की कार्रवाई भी अटक गई है। इसको लेकर खींचतान बढ़ गई है।

 

मंदिर की जमीन से लेना-देना नहीं

साधु जगदीश दास के आरोपों को जिला पंचायत अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत ने निराधार बताया है। उनका कहना है कि मंदिर की जमीन से उनका या परिवार के किसी सदस्य का कोई भी लेना-देना नहीं है। पूरे मामले में प्रशासन को जांच कराना चाहिए। मंदिर की व्यवस्थाओं से असंतुष्ट ग्रामीणों ने धर्मसभा कर प्रशासन को अवगत कराया था। इसमें 500 से ज्यादा ग्रामीण व स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल थे। धर्मसभा में मंदिर के रखरखाव एवं जमीन की आय-व्यय में पारदर्शिता के लिए ग्रामीणों ने ही समिति बनाई है जो प्रशासन की देखरेख में काम कर रही है। समिति द्वारा किए जाने वाले कार्य पूरी तरह पारदर्शी हैं जिन्हें कभी भी देखा जा सकता है।

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