जिंदगी को तारा नहीं सूर्य-चंद्रमा के समान बनाओ : मुनि सुधा सागर
आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर घटिया के मंदिर में आयोजित धर्मसभा
इस सृष्टि में कोई भी अच्छी वस्तु नहीं है। मृग मरीचिका के समान सुख नहीं है दुनिया में, सुखाभ्यास है। हर वस्तु अंधकार में है, लेकिन एक में प्रकाश है। सारे अंधकार को मिटाने की ताकत है, इसलिए कहा कि जिंदगी को तारा मत बनाओ, जिंदगी को सूर्य व चंद्रमा बनाओ। तारागढ़ स्वयं चमकते हैं, लेकिन उनमें अंधकार दूर करने की शक्ति नहीं है। यह बात आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर घटिया के मंदिर में आयोजित धर्मसभा में मुनि सुधासागर महाराज ने कही।
मुनि ने कहा कि संसार में सबकुछ मिटता हुआ दिख रहा है। कान, हाथ, पैर सबकुछ मिटता हुआ दिख रहा है। अहंकार ही है कि हम बड़े हो रहे हैं, सत्य ये है कि हम छोटे हो रहे है। जिंदगी छोटी हो रही है और हम अपने आपको बड़ा मान रहे हैं, हमारे हाथ में छोटी सी जिंदगी है। कोई न कोई कभी न कभी मरेगा, पूरी दुनिया को हमने मरघट बना दिया। मुनि ने कहा कि वह पृथ्वी तुम्हारे लिए क्या उपकार करेगी, तुम जन्मते हो तो इस सृष्टि को गंदा करते हो और मरते हो तो गंदा करते हो। हवाओं ने तुम्हें ऑक्सीजन दी, तुमने कार्बनडाई ऑक्साइड बना दिया। जल कितनी मेहनत से बनता है, तपता है गर्मियों में, तप करके आकाश से उड़ता है, कैसी मुश्किल से उसका खारापन गया। जैनाचार्यों ने कहा समझो संसार तुम्हें परेशान कर रहा है या तुमने संसार को मिटाया है। जब संसार की तरफ देखते हैं तो उसमें कोई न कोई उपकार नजर आता ही है।
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