भाग्योदय में आयोजित धर्मसभा में मंगलवार को मुनि सुधा सागर महाराज ने कहा कि मौजी बंधन संस्कार के बाद माता-पिता की जिम्मेदारी है वे बच्चों को पाठशाला भेजें। उन्होंने कहा कि जो 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं, उनको प्रतिदिन पाठशाला भेजें तो यह संस्कार जीवन भर सुरक्षित रहेंगे। जहां मंदिर है वहां बिना देवदर्शन कि उनको भोजन नहीं मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अष्ट मूल गुणों के प्रति बच्चों का रुझान बना रहे। उनको गृहस्थी में प्रवेश के पहले उनको गृहस्थी का स्वरूप समझाएं। मुनि ने कहा कि कितने सारे लोग हैं जो जैन धर्म का पालन करना चाहते हैं, लेकिन इसकी आचार संहिता बहुत कठिन है। जिस धर्म में मांस और शराब की छूट दी जाती है, वह धर्म बहुत जल्दी दुनिया में फैल जाता है। लोग धर्म के अनुसार नहीं चलना चाहते है, धर्म को अपने अनुसार चलाना चाहते है। जैनधर्म कहता है कि मैं दुनिया के अनुसार नहीं चलूंगा, दुनिया को चलना है तो मेरे अनुसार चले। उन्होंने कहा कि धर्म की क्रिया को हम जितना उत्साह पूर्वक करेंगे, यही उत्साह हमें पुन: धर्म की उपलब्धि कराएगा।