सागर. भाग्योदय तीर्थ में निर्यापक मुनि सुधा सागर महाराज ससंघ सानिध्य में एवं प्रतिष्ठाचार्य प्रदीप भैया के निर्देशन में कल्पद्रुम (समवशरण) विधान शुक्रवार को शुरू हो गया। पहले दिन घटयात्रा निकाली गई। मंडप शुद्धि के साथ ध्वजारोहण का कार्यक्रम हुआ। धर्मसभा में मुनि सुधा सागर महाराज ने कहा कि कभी व्यक्ति बहुत ऊंचाई पर बैठा दिखता है तो कभी वो धूल में पड़ा हुआ दिखता है। कभी अमीर दिखता है तो गरीब। वह संसार में जो चाहता है उसे सबकुछ दुर्लभ दिखता है। हर व्यक्ति को संसार में जीना सरल नहीं लगता, बच्चा गर्भ में बड़ी दुर्लभता से आता है। आ जाए तो 9 महीने व्यतीत करना दुर्लभ होता है। जन्म ले ले तो बचपना निकालना दुर्लभ होता है। जबान हो जाए तो दुर्लभता आती है, पूरी जिंदगी जीने के लिए दुर्लभता का अनुभव होता है। हर समय एक ही चीज लगी रहती है कि किस समय यह व्यक्ति मर जाएगा और ये सब छूट जाएगा। मुनि ने कहा कि दुर्लभ है अच्छा परिवार, सुखी काया, धन दौलत पाना, ये संसार में जीने के लिए बहुत दुर्लभताएं है। परमार्थ की दुर्लभताएं नहीं है। दो घटनाएं क्यों घटती है कि एक तो सुख के बाद दुख क्यों आता है और संसार की हर वस्तु सुलभ क्यों नहीं है। ऐसे लोग हैं दुनिया में उनकी जिंदगी बहुत सुलभ है, उनको मरण का भय नहीं होता, वो मरते नहीं। जो कभी बीमार नहीं होते, जो कभी बूढ़े नहीं होते, अकाल में नहीं मरते, जो अमीर होने के बाद गरीब नहीं होते, एक भव की अपेक्षा से। दूसरे जीवन मे यह सब मिलेंगे कोई नियम नहीं है। जिसे हम देव पर्याय या भोग भूमि जीव कहते है। मुनि ने कहा कि मनुष्य पर्याय में जन्म लेते ही तुम्हें अनुभूति होना चाहिए मेरी मनुष्य पर्याय अनमोल है। तीन लोक में इसका मूल्यांकन नही है। विधान में मुख्य पात्र भरत चक्रवर्ती बनने का सौभाग्य वर्णी कालोनी निवासी नरेन्द्र कुमार, रेखा, ऋ षिराज, तिथि अहिंसा परिवार को प्राप्त हुआ है।