सागर. मौसम विभाग के लिए हर दिन बेहद सटीक जानकारी अपडेट करना जरूरी होता है। एआई के दौर में ऑटोमेटिक सिस्टम से हर पल की मौसम की जानकारी लोगों को मिलती है, लेकिन आज भी सटीक जानकारी के लिए मौसम वैज्ञानिकों का विश्वास साधारण यंत्रों पर ही है। इन यंत्रों से मैन्युअल जानकारी लेनी होती है। हर तीन घंटे में यह जानकारी मौसम विभाग लेकर अपडेट करता है और यही जानकारी विभाग द्वारा मीडिया को भी दी जाती है।
ऑटोमेटिक थर्मिस्टर के साथ थर्मामीटर का प्रयोग वातावरण में तापमान का पता लगाने के लिए ऑटोमेटिक थर्मिस्टर का प्रयोग मौसम विभाग में किया जा रहा है। यह स्वचलित है। हर पल के तापमान की जानकारी सीधे दिल्ली मौसम केंद्र के लिए मिल जाती है, लेकिन इसके बावजूद में सटीक जानकारी के लिए थर्मामीटर का आज भी प्रयोग किया जा रहा है। थर्मामीटर के बाद तापमान को नापने के लिए ग्राफ का उपयोग किया जाता है। इस ग्राफ को मौसम वैज्ञानिक प्रतिदिन बदलते हैं।आज भी रैन गेज से नापते हैं बारिशमौसम केंद्र में आज भी रैन गेज उपकरण का प्रयोग बारिश की तीव्रता और मात्रा को मापने के लिए किया जाता है। इसमें एक पानी से भरे जाने वाले कंटेनर का उपयोग होता है, जिसे उस समय के बाद बारिश के पानी की मात्रा की गणना करने के लिए खाली किया जा सकता है। इसके साथ अब डिजिटल रैन गेज उपकरण भी मौसम केंद्र में मौजूद है। जो स्वचालित रूप से बारिश की मात्रा को मापता है। इसके अलावा हाइड्रोमीटर का प्रयोग बारिश की बूंदों के आकार को मापने के लिए उपयोग होता है।
स्काई रेडियो मीटर लगा मौसम केंद्र में आधुनिक उपकरण स्काई रेडियो मीटर का उपयोग भी किया जा रहा है। यह स्काई रेडियो मीटर सूर्य की किरणों की स्टडी ऑटोमेटिक कर लेता है। इसके साथ कार्बन मॉनीटरिंग सिस्टम भी है, जो हवा के कणों की मॉनीटरिंग करता है। मौसम की भविष्यवाणी करने के लिए अधिकतम व न्यूनतम तापमान, हवा में नमी, हवा की गति और दिशा और एवापोरेशन रेट (वाष्पीकरण की दर) पता करने के लिए सभी सिस्टम डिजिटल हो गए हैं, लेकिन पारंपरिक तरीके नाप किया जा रहा है।वर्शन
सागर स्थानीय मौसम केंद्र में वर्ष 1885 का डाटा मौजूद है, लेकिन यहां कार्यालय की स्थापना आजादी के बाद हुई है। केंद्र पर विभिन्न डिजिटल उपकरण हैं, लेकिन पारंपरिक उपकरणों से तापमान और वर्षा का माप होता है। पहले बनाए गए उपकरण सटीक जानकारी उपलब्ध कराते हैं।
विवेक छलोत्रे, मौसम वैज्ञानिक