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वन्यजीवों के अवशेष से तैयार ट्रॉफियां सैकड़ों लोगों के पास, पंजीयन की जांच आज तक नहीं

वन्यजीवों के अवशेष से तैयार ट्रॉफियां, खाल, सींग को रखने वाले शौकीन लोगों की संख्या सैकड़ों में है। जिले के ऐसे कई बंगले, हवेलियां और घर ऐसे हैं, जिनमें आज भी लोग वन्यजीव के

सागरJan 19, 2025 / 12:04 pm

Madan Tiwari

राठौर फर्म पर शिकायत के बाद हुई जांच में मिले वैध पंजीयन

सागर. वन्यजीवों के अवशेष से तैयार ट्रॉफियां, खाल, सींग को रखने वाले शौकीन लोगों की संख्या सैकड़ों में है। जिले के ऐसे कई बंगले, हवेलियां और घर ऐसे हैं, जिनमें आज भी लोग वन्यजीव के अवशेषों से बनी ट्रॉफियों को सजाकर रखे हैं, लेकिन इनमें से कितने लोगों ने इन्हें रखने के लिए वैध पंजीयन कराया है, इसकी स्पष्ट जानकारी फिलहाल वन विभाग के पास भी नहीं है। कुछ जागरूक लोगों ने तो नियमों में संशोधन के बाद पंजीयन करा लिया था, लेकिन पिछले 22 सालों में वैध पंजीयन को लेकर वन विभाग ने कोई जांच पड़ताल नहीं की।

– 2003 में बदला नियम

दरअसल सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को देश के वन्यजीवों को सुरक्षा प्रदान करने, अवैध शिकार, तस्करी व अवैध व्यापार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से लागू किया था। सरकार ने जनवरी 2003 में अधिनियम में संशोधन किया और नियमों को सख्त बनाया। यही कारण है कि पुराने समय में जिन लोगों ने वन्यजीवों की खाल, सींग आदि से ट्रॉफियां आदि बनवाई थीं, उन्हें उनका पंजीयन कराना अनिवार्य हो गया।

– ट्रॉफियों के साथ जेवरात भी

जानकारों का कहना है कि शौकीन लोगों के घरों में बाघ की खाल, दांत, पंजे का नाखून है। इसके अलावा हिरण की अलग-अलग प्रजातियों के सींग, खाल तो हाथी दांत और उससे बने गहने आदि भी हो सकते हैं। इसमें कुछ ट्रॉफियां हैं तो कुछ शौकीन लोग बाघ के पंजे, दांत के जेवरात पहनने के भी शौक रखते हैं।

– राठौर बंगला में बड़ी संख्या में ट्रॉफियां

सोमवार को वन विभाग की टीम ने सर्च वारंट के माध्यम से सदर स्थित राठौर बंगला पर सर्चिंग की थी, जिसमें उन्हें वन्यजीवों की ट्रॉफी, खाल, सींग सहित अन्य प्रकार के करीब 45 अवशेष मिले थे। इन सभी अवशेष व ट्रॉफियों को लेकर राठौर फर्म के पास वैधानिक दस्तावेज भी वन विभाग को जांच के दौरान मिले हैं, यही कारण है कि वन विभाग ने इस मामले में राठौर फर्म को क्लीनचिट दे दी है, लेकिन मगरमच्छों को परिसर में पालने के मामले में प्रकरण दर्ज कर विवेचना में लिया है।

– शिकायत पर जांच हुई

जिले में कई लोग हैं जिन्होंने वन्यजीवों के अवशेष बनी ट्रॉफियों को लेकर विभाग से पंजीयन कराया है। राठौर फर्म की शिकायत मिलने पर जांच कराई गई थी, अन्य किसी व्यक्ति को लेकर शिकायत नहीं मिली है।
महेंद्र प्रताप सिंह, डीएफओ, दक्षिण वन मंडल

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