बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में निजी लैब का संचालन शुरू हुए पूरे एक साल हो गए हैं। एक साल में जांचों के प्रकार की संख्या अब तक 250 हो जानी थी जो आज भी मात्र 100 तक ही पहुंची है। जांचों के पहले चरण के बाद दूसरा चरण भी ठीक से शुरू नहीं हुआ है और महंगी जांचें आज भी मरीजों को बाहर से करानी पड़ रहीं हैं। जांचों की संख्या न बढ़ाने में संसाधन व स्टाफ के साथ जगह का अभाव भी देखा जा रहा है। बीएमसी के जिला अस्पताल में मर्जर के बाद यह प्रक्रिया और सुस्त दिखाई दे रही है। हालात ये हैं कि 100-200 रुपए में होने वाली जांचें तो बीएमसी में हो जाती हैं, लेकिन 1500-2000 रुपए की महंगी जांचों के लिए आज भी मरीजों को प्राइवेट लैब जाना पड़ रहा है।
6 माह में करनी थी सभी जांचों की व्यवस्था
जनवरी 2024 में बीएमसी में एक निजी कंपनी को सेंट्रलाइज टेंडर के जरिए जांचों की जिम्मेदारी दी गई थी, जिसमें प्राइवेट कंपनी मरीजों की नि:शुल्क जांच करेगी और उसका भुगतान जांचों के हिसाब से प्रदेश सरकार को करेगी। निजी कंपनी को निर्देश थे कि 6 माह में जांचों की संख्या 250 तक की जाए और सस्ती से लेकर महंगी जांच भी मरीजों की नि:शुल्क की जाए।पहले जगह का रोना, अब मर्जर का बहाना
बीएमसी में महंगी जांचें न होने पर जब प्रबंधन से सवाल किया जाता तो प्रबंधन 4 माह पहले तक जगह का अभाव बताकर मामला टालता रहा, लेकिन अब जिला अस्पताल के मर्जर को इसका कारण बता रहा है, वहीं मरीज आज भी परेशान हैं।200 मरीज बाहर से जांचें करा रहे
बीएमसी में हर दिन करीब 1100 मरीज पहुंच रहे हैं, वार्डों में भी करीब 500 मरीज भर्ती हैं। प्रतिदिन 3500 से ज्यादा जांचें हो रहीं हैं, जबकि एड्स, कैंसर की पीसीआर टेस्ट अभी भी नहीं हो रहे हैं। कई प्रोटीन की जांचों का भी अभाव बना हुआ है। हर दिन 200 मरीजों को बाहर से जांचें कराना पड़ रही है।संख्या बढ़ाने पर काम कर रहे हैं
मैं अभी आया हूं, जांचों की संख्या कैसे बढ़ाई जा सकती है, इस पर निर्णय लिया जाएगा।विकास मेश्राम, मैनेजर निजी लैब बीएमसी।