सागर. खेल परिसर के बगल वाले मैदान में चल रही राम कथा के चौथे दिन बुधवार को चिन्मयानंद बापू ने कहा भगवान के नामकरण संस्कार से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हम भी अपने बच्चों का नाम ऐसा रखें जिससे किसी महापुरुष की याद आए। माता-पिता को बच्चों का अंग्रेजी नाम नहीं रखना चाहिए। बाद में बापू ने कहा कि भगवान का जनेऊ संस्कार हुआ। बापू ने कहा कि आजकल मनुष्य के जीवन में इतनी व्यस्तता है कि दो ही संस्कार बचे हैं। विवाह संस्कार और अंतिम संस्कार। सनातन धर्म की 16 संस्कारों में से हम 14 संस्कार तो भूल ही गए हैं । बापू ने कहा कि यदि हम सनातनी हैं और सनातन धर्म में जन्मे हैं तो मैं तो हमें अपने संस्कारों का त्याग नहीं करना चाहिए। साथ ही उन्होंने बच्चों की शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि हम अपने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ धर्म के भी संस्कार दें। आजकल की पढ़ाई से हमें अधिकारी वर्ग तो बहुत मिल रहा है, लेकिन स्वामी विवेकानंद जैसी महान विभूति ढूंढ पाना मुश्किल है। अपने बच्चों में धर्म दें बच्चों में धर्म होगा तो धन अपने आप उसके पास आ जाएगा। गुरुवार को कथा के माध्यम से भगवान राम और माता सीता का विवाह उत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा।