सागर. डॉ. हरिसिंह गौर विवि के फार्मेसी विभाग में शनिवार को खुशियों के ठहाके लग रहे थे। मौका था 50 वर्षों के बाद वर्ष 1975 के छात्रों का मिलन समारोह का। यहां देश-विदेश से पूर्व छात्र एकजुट हुए और पुरानी यादों को साझा किया। पूर्व छात्रों ने विवि में वर्ष 1975 में एडमिशन लिया था और 1979 में बी फार्मा की डिग्री ली थी। अब इनमें कई बड़ी-बड़ी फॉर्मा इंडस्ट्री का संचालन कर रहे हैं, तो कोई बड़ी-बड़ी कंपनी के साथ मिलकर ड्रग्स बना रहा है। पत्रिका ने इनसे मुलाकात कर बातचीत की –
55 देशों में करते हैं आयुर्वेदिक पशु औषधी सप्लाई उत्तरप्रदेश के सहारनपुर में सुधाकर अग्रवाल दुनियाभर के 55 देशों में आयुर्वेदिक पशु औषधी की सप्लाई करते हैं। सुधाकर अग्रवाल ने बताया कि वे पशु औषधी के निर्माता है। उन्होंने बताया कि विवि के साथ भी उनका एमओयू है। उन्होंने बताया कि सभी प्रकार के पशु की औषधी के लिए दुनिया भर उनके पास मांग आती है। जिसमें पशुओं के लिए टॉनिक, चिकित्सा दवाएं और टीके आदि शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सहारनपुर के साथ एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट उनकी हिमाचल प्रदेश में भी है।
85 फीसदी महिलाएं हो रही थायराइड की शिकार सागर के जन्मे और विवि के छात्र अशोक वसीम इंटरनेशनल थायराइड फेडरेशन के अध्यक्ष है। अशोक वसीम ने बताया कि वे कनाडा के नीदरलैंड शहर में है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर भी यह संस्था काम करती है। उन्होंने बताया कि भारत में भी थायराइड की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। यह बीमारी महिलाओं में सबसे ज्यादा होती है। 85 फीसदी महिलाएं और 15 फीसदी पुरुषों में थायराइड देखने को मिलता है। उन्होंने बताया कि थॉयराइड की बीमारी वाली महिलाएं स्वस्थ बच्चे को जन्म नहीं दे सकती है। जिस महिला को थायराइड उसे पहले इस बीमारी का इलाज कराना होगा। उसके बाद ही स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सकता है।
कई नामचीन ड्रग्स बनाएं मुंबई में अफ्रीका की कंपनी टेक्निकल ऑफिसर डॉ. मुरलीधर खूबचंदानी ने बताया कि ल्यूपिन लिमिटेड, डाबर जैसी कंपनियों के साथ काम किया है। उन्होंने बताया कि मल्टीविटामिन के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी ड्रग एडूजेड, एसिडिटी के लिए पेन 40, क्लैवम और टैक्सीम का फॉर्मूला उन्होंने ही इजात किया। उन्होंने ये दवाइयां सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाली हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के कई सदस्य आज भी सागर में रहते है।
40 वर्षों से चला रहे फॉर्मा इंडस्ट्री सागर में रहने वाले डॉ. यशवंत ठाकुर ने बताया कि वे 40 वर्षों से फॉर्मा इंडस्ट्री चला रहे हैं। उन्होंने बताया कि वे कैप्सूल निर्माण करते हैं। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को मैं हर 5 वर्ष कराने की कोशिश करता हूं। वर्षों बाद सभी एकजुट हुए हैं। उन्होंने बताया कि इससे पहले वर्ष 2019 में हम एकत्रित हुए थे। इस वर्ष लगभग सभी छात्र पहुंचे।