वन विभाग के अनुसार मुख्य वन संरक्षक व वनमंडल अधिकारी दक्षिण के निर्देश पर उडऩदस्ता राठौर बंगला पहुंचा था। जहां परिसर में बने भवनों में बाघ, तेंदुआ, काले हिरण, चौसिंगा, सांभर, चिंकारा के खाल, सींग व अन्य वन्यजीवों की ट्रॉफी मिली। डीएफओ महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया, ट्रॉफियों का 2003 में पंजीयन कराया था, सभी अभिलेख वैध हैं।
बंगले में 50 साल से मगरमच्छ
बंगले में लगभग 5 दशक यानी 50 साल से मगरमच्छ पले हुए थे। वन विभाग ने जिन 4 मगरमच्छों का रेस्क्यू कर नदी में छोड़ा, उसमें सबसे बड़े मगरमच्छ की उम्र ही 45 से 50 साल है। बंगले में मगरमच्छ होने की बात शहर के बच्चे-बच्चे को पता थी, लेकिन वन विभाग का कहना है कि उन्हें इस संबंध जानकारी मीडिया में चली खबरों से मिली। आयकर विभाग नहीं पहुंचता तो वन विभाग को कुछ पता ही नहीं चलता।