साधक जब तल्लीन होकर खो जाता है तब एक विशिष्ट घटना घटित होती है, यही ध्यान है। ध्यान के माध्यम से चंचल मन को एकाग्र करते हैं। यह बात देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के योग विशेषज्ञ डॉ. कामता प्रसाद साहू ने प्रथम विश्व ध्यान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. हरिसिंह गौर विवि के योग विभाग में किया गया। शिक्षा अध्ययन शाला के अधिष्ठाता प्रो. अनिल कुमार जैन ने कहा कि विश्व में शांति और सौहार्द स्थापित करना है तो भारतीय ज्ञान परंपरा की महती आवश्यकता है। ऐसे में ज्ञान के सागर में भारत ने दो बूंद सेवा के रूप में 2015 में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और अब 2024 विश्व ध्यान दिवस की संकल्पना के समर्पित किए हैं। डॉ. नितिन कोरपाल ने संचालन किया। डॉ. महेंद्र शर्मा ने ध्यान का अभ्यास कराया। इस अवसर पर डॉ. ब्रजेश ठाकुर, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. रमाकांत, प्रज्ञा साव, चेतना सरकार, ख्याति गोस्वामी, दीक्षा भारद्वाज सहित अनेक विद्यार्थी उपस्थित थे।