आज समाज में नकारात्मकता एवं दुष्प्रचार जोरों से समाज पर प्रभावी हो रहे हैं, जिससे हमारी युवा पीढ़ी दिशाहीन होकर नकारात्मकता से ग्रसित होती जा रही है। इसे दूर करने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा का विकास किया जाना समय की मांग है। उक्त बात शासकीय स्वशासी कन्या स्नातकोत्तर उत्कृष्टता कन्या महाविद्यालय में भारतीय ज्ञान परंपरा के उपलक्ष्य में महाविद्यालयीन प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विवि छतरपुर के पूर्व कुलसचिव प्रो. जेपी मिश्रा ने कही। उन्होंने कहा कि अकबर के काल में गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरित मानस भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करने हेतु एक प्रामाणिक ग्रंथ है। मंच संचालन करते सुप्रिया यादव ने किया। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. निशा इंद्रगुरु ने कहा कि हमारे ऋषि मुनियों ने लंबी कालावधि तक तपस्या करके ज्ञान अर्जित किया है। अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य डॉ. आनंद तिवारी ने कहा कि आज की तारीख भारतीय ज्ञान परंपरा को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण तिथि है। आज के ही दिन स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपने संबोधन के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा की खुशबू सभागार में बिखेरी थी।