सागर. दीपावली त्योहार पर पटाखे जलाते समय बरती गई लापरवाही से 8 से अधिक हादसे हुए। हादसे में घायलों को गंभीर अवस्था में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराना पड़ा। सबसे जयादा बच्चे आहत हुए हैं। 3 मरीजों की आंखों की रोशनी बचना डॉक्टर्स को मुश्किल दिख रहा है। लापरवाही बरतते हुए किसी ने हाथ में पटाखा फोड़ लिए तो किसी ने कचरा से पटाखा उठाकर जलाने की कोशिश और हादसे का शिकार हो गया। कुछ हादसों में मामूली चोटें होने के कारण मरहम पट्टी करवाकर मरीज घर चले गए लेकिन तीन केस में बच्चों की आंखों की पुतलियों, इनर लेयर को बेहद नुकसान पहुंचा है। आंख में घुसे बारूद के कणों को डॉक्टर्स दवाओं के माध्यम से एक-एक कर निकाल रहे हैं। दवाओं के बाद भी उनकी आंखों की स्थिति सामान्य हो जाएगी यह कहने से भी डॉक्टर्स बच रहे हैं।
केस 01
गड़ोलाखुरई निवासी 12 वर्षीय विशाल प्रजापति दीपावली की रात हाथ से बनी पाइप की बंदूक में पोटाश डालकर चला रहा था। पहली बार जब धमाका नहीं हुआ तो बच्चे पाइप में आंख डालकर देखने लगा और विस्फोट हो गया। हादसे में विशाल की एक आंख गंभीर रूप से झुलस गई, बारूद आंख में घुस गया। फिलहाल बच्चा बीएमसी में भर्ती है, इलाज के बाद भी आंख की रोशनी कम हो जाने का अंदेशा डॉक्टर बता रहे हैं।
गड़ोलाखुरई निवासी 12 वर्षीय विशाल प्रजापति दीपावली की रात हाथ से बनी पाइप की बंदूक में पोटाश डालकर चला रहा था। पहली बार जब धमाका नहीं हुआ तो बच्चे पाइप में आंख डालकर देखने लगा और विस्फोट हो गया। हादसे में विशाल की एक आंख गंभीर रूप से झुलस गई, बारूद आंख में घुस गया। फिलहाल बच्चा बीएमसी में भर्ती है, इलाज के बाद भी आंख की रोशनी कम हो जाने का अंदेशा डॉक्टर बता रहे हैं।
केस 02
बहेरिया के बडक़ुआ निवासी 10 वर्षीय बालक कार्तिक अहिरवार ने शुक्रवार की सुबह कचरा में से एक रॉकेट उठा लिया और उसे चलाने का प्रयास किया। बार-बार आग लगाने पर भी रॉकेट नहीं चला और अचानक से उसमें विस्फोट हो गया। बच्चे का एक हाथ और दोनों आंखों में गंभीर चोटें आईं हैं। आंखों में बारूद भर जाने से आंखों की पुतलियों और इनर लेयर का नुकसान आु है।
बहेरिया के बडक़ुआ निवासी 10 वर्षीय बालक कार्तिक अहिरवार ने शुक्रवार की सुबह कचरा में से एक रॉकेट उठा लिया और उसे चलाने का प्रयास किया। बार-बार आग लगाने पर भी रॉकेट नहीं चला और अचानक से उसमें विस्फोट हो गया। बच्चे का एक हाथ और दोनों आंखों में गंभीर चोटें आईं हैं। आंखों में बारूद भर जाने से आंखों की पुतलियों और इनर लेयर का नुकसान आु है।
केस 03
बंडा क्षेत्र का एक 32 वर्षीय ग्रामीण गंभीर हालत में बीएमसी आया था, कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने उसे प्राथमिक उपचार दिया। दोनों आंखों में बारूद के कारण गंभीर चोटें थीं। उसे आई स्पेशलिस्ट के यहां भेजा लेकिन परिजन उसे शहर के निजी अस्पताल ले गए। उसकी एक आंख में गंभीर चोट थी।
बंडा क्षेत्र का एक 32 वर्षीय ग्रामीण गंभीर हालत में बीएमसी आया था, कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने उसे प्राथमिक उपचार दिया। दोनों आंखों में बारूद के कारण गंभीर चोटें थीं। उसे आई स्पेशलिस्ट के यहां भेजा लेकिन परिजन उसे शहर के निजी अस्पताल ले गए। उसकी एक आंख में गंभीर चोट थी।
घात है पटाखों का केमिकल और गैस
विशेषज्ञों की मानें तो पटाखों में पोटेशियम नाइट्रेट, सल्फर, चारकोल, बेरियम नाइट्रेट, स्ट्रोंटियम नाइट्रेट जैसे केमिकल होते हैं जो शरीर के किसी भी हिस्से में चला जाए तो बेहद घातक है। इसके अलावा पटाखा जलाने से कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और सल्फर ऑक्साइड जैसी जहरीली गैसें भी निकलती हैं, जिससे फेफड़ों पर गंभीर असर हो सकता है।अभी एकादशी तक उत्साह, बरतें सावधानी
-रखे हुए पुराने पटाखे उपयोग न करें, भरोसेमंद दुकान से अच्छी क्वालिटी के खरीदें। -घर के अंदर, बालकनी पर भी पटाखे न जलाएं भले वह फुलझड़ी क्यों न हो। -पटाखे जलाते समय कॉटन कपड़े पहने क्योंकि जलने पर यह चिपकते नहीं। -अतिशबाजी के दौरान एक बाल्टी में मिट्टी या पानी साथ में रखें। -पटाखा जलाते समय संभव हो तो चश्मा लगाएं, ज्यादा नजदीक न जाएं।
-जानवर, वाहन के आसपास पटाखे न जलाएं। -माचिस या लाइटर, मोमबत्ती, अगरबत्ती से सीधे पटाखें न जलाएं। -जलने पर घाव को पानी से अच्छी तरह से धोएं और डॉक्टर को दिखाएं। -छोटे बच्चे आवाज से चौंक जाते हैं, उनके कानों में ईयर प्लग लगाकर रखें।
-पटाखे जलाने में लापरवाही करते हैं। पटाखे जलाते समय परिजन बच्चों के साथ रहें, पटाखों में सीधे आग न लगाएं। पोटाश जैसी विस्फोटक सामग्री का उपयोग न करें। हर साल इस तरह के हादसे आते हैं। कार्तिक व विशाल नाम के बालकों की जांच की जा रही, हम देख रहे हैं कि आंखों का कितना नुकसान हुआ है, कैसे हम उन्हें स्वस्थ कर सकते हैं।
डॉ. प्रवीण खरे, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग बीएमसी।
डॉ. प्रवीण खरे, विभागाध्यक्ष नेत्र रोग बीएमसी।