डॉक्टर नहीं लिखते दवा
शहर में जन औषधि केंद्र चला रहे प्रवीण, हिमांशु, शिवम की मानें तो सरकारी या प्राइवेट कोई भी डॉक्टर जेनेरिक दवा नहीं लिखते। शहर में भगवानगंज, जिला अस्पताल, जिला अस्पताल के सामने और मेडिकल कॉलेज में जेनेरिक अमृत मेडिकल कुल चार केंद्र संचालित है।मरीजों को सीधा फायदा
जेनेरिक दवाओं में वही फार्मूला होता है जो कि किसी भी ब्रांडेड दवा का रहता है। विशेषज्ञों की माने यदि कोई मरीज सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार की दवा लेने भी जाए फिर भी निजी मेडिकल में उसका बिल 300-350 रुपए तक का बन जाता है, जबकि जेनेरिक दवा 100-150 रुपए में मिल जाएगी।यह भी जिम्मेदार
जिले का ड्रग, स्वास्थ्य विभाग जेनेरिक दवाओं के प्रचार-प्रसार में रूचि नहीं ले रहा। स्वास्थ्य विभाग कम से कम सरकारी डॉक्टरों को पर्चे पर दवा का ब्रांड न लिखकर फार्मूला लिखने पर जोर दे सकता है। डॉक्टर्स भी मरीजों को जेनेरिक दवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।यह हैं खामियां
जेनेरिक मेडिकल में 1200 से अधिक दवाएं रखने की व्यवस्था होती है, लेकिन एक्सपायर दवाएं वापिस होने की गारंटी नहीं होती। दुकानदार मात्र 150-200 प्रकार की दवाएं ही रख रहे हैं। 290 प्रकार की सर्जिकल सामग्री में से 30-40 प्रकार की सामग्री ही उपलब्ध रहती है। एक तथ्य ये भी है कि प्रदेश के 300 से अधिक जन औषधि केंद्र में सप्लाई के लिए कोई वितरण केंद्र ही नहीं है, बाहर से दवाएं आने पर 10-15 दिन तक लग जाते हैं।डॉ. ज्योति चौहान, क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं।