scriptजेनेरिक मेडिकल स्टोर पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक, 4 दुकानों में लग गया ताला | Patrika News
सागर

जेनेरिक मेडिकल स्टोर पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक, 4 दुकानों में लग गया ताला

जेनेरिक मेडिकल पर ब्रांडेड की तुलना में 40-50 प्रतिशत तक सस्ती मिलतीं हैं दवाएं सागर. जिले में सस्ती दवा बेचने वाले जेनेरिक मेडिकल स्टोर बंद होने की कगार पर हैं। दवाओं की बिक्री न होने से इनकी संख्या 8 में से 4 बची है, जबकि 4 जन औषधी केंद्र पर ताला लग चुका है, जो […]

सागरJan 03, 2025 / 07:12 pm

नितिन सदाफल

मेडिकल कॉलेज में जेनेरिक अमृत मेडिकल

मेडिकल कॉलेज में जेनेरिक अमृत मेडिकल

जेनेरिक मेडिकल पर ब्रांडेड की तुलना में 40-50 प्रतिशत तक सस्ती मिलतीं हैं दवाएं

सागर. जिले में सस्ती दवा बेचने वाले जेनेरिक मेडिकल स्टोर बंद होने की कगार पर हैं। दवाओं की बिक्री न होने से इनकी संख्या 8 में से 4 बची है, जबकि 4 जन औषधी केंद्र पर ताला लग चुका है, जो चल रहीं हैं उनके दुकानदार किराया-भाड़ा भी नहीं निकाल पा रहे। कमीशन के चक्कर में डॉक्टर्स जेनेरिक दवा लिख नहीं रहे, स्वास्थ्य विभाग लोगों को जागरूक नहीं कर पा रहा, लोग इन दवाओं पर भरोसा नहीं कर रहे, जबकि जेनेरिक दवाएं ब्रांडेड की तुलना में उसी फार्मूला के साथ 40-50 प्रतिशत तक सस्ती मिल जाती हैं। निजी मेडिकल स्टोर पर जहां रोज 50 हजार रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक की बिक्री होती है वहीं जेनेरिक मेडिकल स्टोर में मात्र 3-5 हजार रुपए की दवा ही बिक पाती हैं।

डॉक्टर नहीं लिखते दवा

शहर में जन औषधि केंद्र चला रहे प्रवीण, हिमांशु, शिवम की मानें तो सरकारी या प्राइवेट कोई भी डॉक्टर जेनेरिक दवा नहीं लिखते। शहर में भगवानगंज, जिला अस्पताल, जिला अस्पताल के सामने और मेडिकल कॉलेज में जेनेरिक अमृत मेडिकल कुल चार केंद्र संचालित है।

मरीजों को सीधा फायदा

जेनेरिक दवाओं में वही फार्मूला होता है जो कि किसी भी ब्रांडेड दवा का रहता है। विशेषज्ञों की माने यदि कोई मरीज सामान्य सर्दी-खांसी और बुखार की दवा लेने भी जाए फिर भी निजी मेडिकल में उसका बिल 300-350 रुपए तक का बन जाता है, जबकि जेनेरिक दवा 100-150 रुपए में मिल जाएगी।

यह भी जिम्मेदार

जिले का ड्रग, स्वास्थ्य विभाग जेनेरिक दवाओं के प्रचार-प्रसार में रूचि नहीं ले रहा। स्वास्थ्य विभाग कम से कम सरकारी डॉक्टरों को पर्चे पर दवा का ब्रांड न लिखकर फार्मूला लिखने पर जोर दे सकता है। डॉक्टर्स भी मरीजों को जेनेरिक दवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

यह हैं खामियां

जेनेरिक मेडिकल में 1200 से अधिक दवाएं रखने की व्यवस्था होती है, लेकिन एक्सपायर दवाएं वापिस होने की गारंटी नहीं होती। दुकानदार मात्र 150-200 प्रकार की दवाएं ही रख रहे हैं। 290 प्रकार की सर्जिकल सामग्री में से 30-40 प्रकार की सामग्री ही उपलब्ध रहती है। एक तथ्य ये भी है कि प्रदेश के 300 से अधिक जन औषधि केंद्र में सप्लाई के लिए कोई वितरण केंद्र ही नहीं है, बाहर से दवाएं आने पर 10-15 दिन तक लग जाते हैं।
-जेनेरिक दवा का फॉर्मूला ब्रांडेड दवा की तरह होता है, लेकिन लोग डॉक्टर द्वारा बताई या लिखी गई दवा ही लेते हैं, जागरूकता की कमी है। जेनेरिक मेडिकल की अपनी समस्याएं हैं। सभी दवाएं खरीदकर रखीं और दवा नहीं बिकी और खराब हो गईं तो उन्हें भी नुकसान होगा। इसलिए वह भी गिनती की दवाएं रखते हैं।
डॉ. ज्योति चौहान, क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं।

Hindi News / Sagar / जेनेरिक मेडिकल स्टोर पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक, 4 दुकानों में लग गया ताला

ट्रेंडिंग वीडियो