सागर

Challenges 2018 : आम लोग दें साथ तो अपना सागर होगा बेहद खास

नए साल में फिर मुंह बाए खड़ी हैं पुरानी चुनौती, ये हो सकते हैं समाधान
 

सागरJan 02, 2018 / 02:03 pm

रविकांत दीक्षित

Challenges 2018 in sagar

सागर. साल भले ही बदल गया है लेकिन अवाम की परेशानियां नहीं बदली हैं। अब 2018 से लोगों को आस बंधी है। पत्रिका ने शहर की चुनौतियों की पड़ताल कर उनके समाधान भी खोजे। इनमें सबसे ज्यादा अव्यवस्था परेशानी सड़क, स्वास्थ्य, अतिक्रमण, पार्किंग में सामने आई। सरकारी तंत्र के साथ लोगों को भी अपनी जिम्मेदार समझते हुए व्यवस्था बनाने में आगे आना होगा।

पानी प्रबंधन
समाधान: लीकेज, नलों में टोंटियां लगाना व अवैध कनेक्शनों पर कार्रवाई कर निगम पानी प्रबंधन कर सकता है। राजघाट में पानी की चोरी रोकने निगम को पुलिस व जिला प्रशासन की मदद लेनी होगी। निगम को पानी के लिए भी एक अलग टीम बनानी होगी।

झील में प्रदूषण
समाधान: झील के लिए अब तक प्रस्ताव ही बनते रहे हैं। अब जनप्रतिनिधियों को भोपाल व दिल्ली में प्रयास करने होंगे ताकि झील संरक्षण को बड़ी राशि मिल सके। झील में जलकुंभी, गाद, मोंगा बंधान चुनौतियां हैं, जिन्हें बड़ी राशि के जरिए ही दूर किया जा सकता है।

संपत्ति कर : फिर करेगा परेशान
समाधान: निगम के सामने संपत्ति कर इस बार फिर मुसीबत बनने वाला है। अफसरों ने दो वर्षों में आईं एक भी आपत्ति का निराकरण नहीं किया है और इस बार बिलों का वितरण शुरू कर दिया है। जरूरी होगा कि निगम नए सिरे से समय रहते संपत्ति कर का निर्धारण कर ले।

डेयरी विस्थापन : सही प्लानिंग जरूरी
समाधान: डेयरी विस्थापन के लिए सही प्लानिंग करनी होगी। डेयरी संचालकों के साथ पशुपालकों से चर्चा करनी होगी। हालांकि पिछले दिनों अधिकांश बिंदुओं पर प्रशासन व डेयरी संचालकों के बीच सहमति बन गई थी, शेष मसलों पर बैठक कर कार्रवाई शुरू करनी होगी।

बीएमसी : शाम की ओपीडी नहीं है चालू
समाधान: जिला अस्पताल और बीएमसी के डॉक्टरों के बीच सहमति बनाने की जरूरत। अस्पताल में मर्जर से पहले शाम को ओपीडी लगती थी। प्रबंधन चाहे तो बैठक आयोजित कर सकता है। डॉक्टरों को शाम की ओपीडी शुरू करने के निर्देश दिए जा सकते हैं। वर्तमान में मर्जर के कारण शाम को बीएमसी में सिर्फ केज्युल्टी में मेडिकल ऑफीसर बैठते हैं।

मेडिकल वेस्ट के लिए इंसीनरेटर प्लांट नहीं
समाधान: हफसिली में इंसीनरेटर प्लांट बनकर तैयार हो चुका है। लेकिन एप्रोच रोड नहीं बनी है। ईसी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा भी हो चुकी है, लेकिन सड़क निर्माण का काम नहीं हुआ है। यदि नगर निगम और जिला प्रशासन इस मामले में सामंजस्य से काम करें तो आसानी से इंसीनरेटर प्लांट बन जाएगा और एक बड़ी मुसीबत हल हो जाएगी।

सूखा में सभी को पानी देना चुनौती
प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सूखा है। लोगों को पेयजल, किसानों को सिंचाई के लिए पानी, रोजगार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन रोकना, मवेशियों के चारा-भूसा उपलब्ध कराने बड़ी चुनौती है। अधिकारियों को इस दिशा में अभी से प्रयास करने होंगे। पहले ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए साधन पैदा करना होंगे ताकि पलायन रुक सके। वहीं बांधों व तालाबों में पानी की स्थिति का गुणा-भाग करके कई सख्त निर्णय लेने होंगे।

ट्रैफिक अव्यवस्था
समाधान: ट्रैफिक सिग्नल का संचालन निगम अपने हाथ में ले सकता है। तकनीकी व आर्थिक समस्याओं से बचने व्यवस्था को निजी एजेंसी को भी सौंपा जा सकता है। शहर के सिविल लाइन चौराहे पर संचालित ट्रैफिक सिग्नल के संचालन से अन्य सिग्नलों की व्यवस्था को समझा जा सकता है।

अतिक्रमण मुसीबत
समाधान: कई बार सड़क-बाजार में फैले दुकानों के सामान, लोगों के वाहनों को हटाने की मुहिम चल चुकी है। राजनैतिक हस्तक्षेप से अभियान पटरी से उतर जाते हैं। निगम में यदि मजिस्ट्रेट की नियुक्ति हो जाए तो वे मोबाइल कोर्ट लगाकर व्यवस्था सुधार सकते हैं।

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