सेंट्रल जेल में 20 प्रहरी, 8 मुख्य प्रहरी, 3 डिप्टी जेलर और एक जेल की कमी है। निगरानी के इंतजाम एक तिहाई कम होने और बंदियों की क्षमता दोगुनी बढऩे से बैरकों में नियंत्रण चरमरा गया है। उप जेलों में तो स्थिति और खराब है, क्योंकि वहां पहले से बल के नाम पर काम चलाऊ व्यवस्था है। वहां आदतन अपराधी और हत्या-लूट के बंदियों को रखा जा रहा है, जो कभी भी व्यवस्था को बिगाडऩे के लिए आपस में भिड़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार रहली जेल में रविवार को लॉकअप के समय क्षमता 70 के मुकाबले 143 बंदी थे। इनमें 4 सजायाफ्ता और 139 ह त्या-दुष्कर्म, लूट आदि वारदातों में विचाराधीन हैं।
जेलों में क्षमता से अधिक बंदी है यह सही है। उनके लिए बैरक के अलावा अन्य इंतजाम किए गए हैं। बैरकों के बाहर बरामदों, सभागृह या अन्य कक्षों को अस्थाई रूप से बैरक बनाया गया है। बंदी आपस में लड़ाई-झगड़ा न करें इसके लिए निगरानी बढ़ाई गई है। – मदन कमलेश, डिप्टी अधीक्षक, सेंट्रल जेल सागर