सागर

जर्जर सड़क पर 10-10 फीट के ब्लॉक खोदकर नए सिरे से तैयार कर रहे सीमेंट-कंक्रीट रोड

वाहनों की आवाजाही से पड़े दबाव के कारण बीच सड़क में आया 3 से 4 इंच का गेप, कई जगह फट गई सड़क सागर. भापेल-जैसीनगर मार्ग पर एक बार फिर से रिपेयरिंग का काम शुरू हो गया है। लगातार भारी वाहनों की आवाजाही से जगह-जगह धंस रही सड़क में अब निर्माण एजेंसी 10-10 फीट के […]

सागरJan 20, 2025 / 08:20 pm

नितिन सदाफल

ऐसे चल रहा रिपेयरिंग का काम

वाहनों की आवाजाही से पड़े दबाव के कारण बीच सड़क में आया 3 से 4 इंच का गेप, कई जगह फट गई सड़क
सागर. भापेल-जैसीनगर मार्ग पर एक बार फिर से रिपेयरिंग का काम शुरू हो गया है। लगातार भारी वाहनों की आवाजाही से जगह-जगह धंस रही सड़क में अब निर्माण एजेंसी 10-10 फीट के ब्लॉक खोद-खोदकर उनमें नए सिरे से सीमेंट-कंक्रीट भर रही है। यह काम किसी एक जगह नहीं बल्कि दर्जनों जगह चल रहा है। इसकी शुरूआत भापेल तिराहे से चंद कदम की दूरी से हुआ है और इसके बाद रास्ते में पडऩे वाले गांव बदौआ, सेमाढ़ाना, सरखड़ी, अगरिया आदि के पास कई जगह सड़कों पर बेरिकेड्स लगाकर काम चल रहा है।

पहले डामर से लीपापोती की

करीब 30 किलोमीटर लंबा भापेल-जैसीनगर मार्ग सीमेंट-कंक्रीट से तैयार किया गया है। इस सड़क के बीचों-बीच तीन से चार इंच का गेप आ गया था, तो कई जगह सड़क फट गई थी, जिसके बाद निर्माण एजेंसी ने डामर से लीपापोती कर उसे भरा गया था। इस काम को हुए भी अभी छह माह नहीं हुए हैं और एक बार फिर से रिपेयरिंग का काम शुरू हो गया है।

रेत की अवैध सप्लाई का रूट बना

भापेल-जैसीनगर मार्ग का सबसे ज्यादा दुरुपयोग नर्मदा से आने वाली रेत के परिवहन के लिए किया जा रहा है। सिलवानी की ओर से सागर आने वाली रेत के डंपर टोल और चैकिंग से बचने के चक्कर में इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। सागर-सिलवानी स्टेट हाइवे से होकर यह रेत के डंपर जैसीनगर पहुंचते हैं और इसके बाद भापेल रोड पकड़ लेते हैं। पिछले एक साल में हादसे भी हुए और लोगों ने विरोध करते हुए चक्काजाम भी किया, लेकिन मौत बनकर दौड़ रहे इन रेत के डंपर पर प्रतिबंध नहीं लग सका।

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