सागर

New Year पर आइए MP के दिल बुंदेलखंड में, इन स्थलों पर घूमकर आ जाएगा मजा

बुंदेल में खंड-खंड पर्यटन, नए साल में प्रकृति संग करें प्रभु के दर्शन

सागरDec 30, 2017 / 04:39 pm

रेशु जैन

Bundelkhand

सागर. तीन दिन बाद नए साल का आगाज हो जाएगा। २०१८ के स्वागत के लिए लोगों ने अलग-अलग तैयारियां की हैं। कोई शिर्डी जा रहा है तो कोई वृन्दावन। कोई कश्मीर की वादियां घूमने निकल गया है तो किसी को शिमला भा रहा है। लेकिन हमारे अजब बुंंदेलखंड में भी जगह-जगह पर्यटन स्थल हैं। यहां न तो ज्यादा समय की बर्बादी होगी और न ही बजट ज्यादा आएगा। संभाग में प्रकृतिजनित पर्यटन स्थल तो खूब हैं ही, धार्मिक दृष्टि से भी मंदिरों की कमी नहीं है। ओरछा में रामराजा सरकार हैं तो खजुराहो में चंदेलकालीन मंदिर हैं। कुंडलपुर भी जैन समाज का बड़ा धार्मिक स्थल है।
राहतगढ़ वाटरफॉल
राहतगढ़ वाटरफॉल बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। ठंड में इसकी सुंदरता और निखर जाती है। यहां आसानी से एक दिन में ही जाकर लौटा जा सकता है। सागर-भोपाल मार्ग पर करीब 40 किमी दूर स्थित राहतगढ़ कस्बा वॉटरफॉल के कारण अब एक बेहद लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। प्राचीन काल में यह अपने कंगूरेदार दुर्ग , प्राचीर द्वारों, महल और मंदिरों-मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध था। कालांतर में सब नष्ट होता चला गया और अब यहाँ दुर्ग के सिर्फ अवशेष बचे हैं। बीना नदी के ऊँचे किनारे पर स्थित राहतगढ़ कस्बा पुरावशेषों के अनुसार ग्यारहवीं शताब्दी में परमारों के शासनकाल में बहुत अच्छी स्थिति में था। कस्बे से करीब 3 किमी दूर स्थित किले की बाहरी दीवारों में कभी बड़ी-बड़ी 26 मीनारें थीं। भीतर पहुँचने के लिए 5 बड़े दरवाजे थे। कालांतर में यहां हुई लड़ाइयों और देखरेख के अभाव में राहतगढ़ का वैभव अतीत की काली गुफा में दफन हो गया। सागर के स्थानीय निवासी वर्षा-ऋतु में यहाँ छुट्टी के दिन समय बिताने के लिए बड़ी संख्या में जाते हैं। शहर के आस-पास ऐसे स्थलों का अभाव होने के कारण यह पिकनिक मनाने का अत्यंत लोकप्रिय स्थान है।
Bundelkhand
लाखा बंजारा झील
सागर की लाखा बंजारा झील संभाग की पहली और प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी झील है। यहां संजय ड्राइव के पास खूबसूरत नजारों को कैमरे में कैद किया जा सकता है। बुंदेलखंड और खासतौर से सागर की जनता इस नाम को अच्छे से जानती है। क्षेत्रीयता और स्थानीय परंपराओं में विश्वास करने वालों ने लाखा बंजारा के नाम पर ही सागर झील का नाम लाखा बंजारा झील रखा है। लेकिन आश्चर्य नहीं कि लाखा बंजारा का नाम ढूंढने पर भी किसी सरकारी अभिलेख में नहीं मिलता है। लाखा बंजारा को आज इस क्षेत्र में एक महानायक के रूप में जाना जाता है।
सागर झील की उत्पत्ति के बारे में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं। इस क्षेत्र में प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार कहा जाता है कि झील खोदी गई लेकिन उसमें पानी नहीं आया। तो राजा ने घोषणा की कि जो भी झील में पानी लाने का उपाय बताएगा उसे पुरस्कार दिया जाएगा. किसी ने बताया कि यदि झील के बीचों-बीच किसी नवविवाहित दंपति को झूले में बैठा कर झुलाया जाए, तो झील लबालब हो जाएगी लेकिन सबसे कठोर तथ्य यह था कि उस दंपति को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
Bundelkhand
सबसे गहरा कुंड भीमकुंड
बड़ामलहरा क्षेत्र का भीमकुंड बुंदेलखंड का सबसे गहरा कुंड है। डिस्कवरी टीम दो बार कुंड के अंदर गहराई का आंकलन करने के लिए आ चुकी है, पर उसे तलहटी तक पहुंचने में सफलता नहीं मिली है। जिला मुख्यालय छतरपुर से 80 किमी दूर स्थित कुंड वैसे तो देखने में साधारण लगता है, लेकिन कहा जाता है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में प्राकृतिक आपदा घटने वाली होती है तो कुंड का जलस्तर बढऩे लगता है। छतरपुर-सागर हाईवे स्थित बड़ामलहरा से लगभग 30 किमी दूर सुरम्भ पहाडिय़ों के बीच स्थित भीमकुण्ड बुंदेलखण्ड के प्रमुख तीर्थों में शुमार है। ऐसा माना जाता है कि यहां स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। मकर संक्रांति पर यहां डुबकी लगाने का विशेष महत्व माना जाता है। इसलिए प्रतिवर्ष मकर संक्रांति पर यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। इस कुण्ड को लेकर प्रचलित लोकोक्ति के अनुसार भीमकुण्ड का संबंध महाभारत काल से है। अज्ञातवास के दौरान पांडवों के लिए जंगल और पहाड़ ही आसरा हुआ करते थे। कई दिनों से कोई जलाशय न मिलने के कारण एक दिन उनके पास उपलब्ध पानी खत्म हो गया। इसी बीच एक पहाड़ पर पहुंचने के बादा द्रोपदी को प्यास लगी, तो उन्होंने पानी पीने की इच्छा जताई। लेकिन दूर-दूर तक कोई जलस्त्रोत नहीं था। भीम ने अपनी गदा से प्रहार किया तो पहाड़ के बीच जमीन धंस गई और पानी की धार फूट पड़ी।तब द्रोपदी सहित पांडवों ने जलपान किया।
Bundelkhand
सिंगौरगढ़ का किला दमोह
दमोह के पास सिंगौरगढ़ का किला ऐतिहासिक महत्व का स्थान है। बताया जाता है कि यह राजा बैन बेसन द्वारा बनाया गया था। यहां एक झील भी है, जो कमल के फू लों से भरी है। यह एक आदर्श पिकनिक स्थान है। बताया जाता है कि सिंग्रामपुर से 6 किमी दूर डब्लूबीएम रोड पर कलुमार की तरफ सड़क अग्रणी नामक स्थान है। नए साल पर जंगल की नजदीक का आनंद यहां से किया जा सकता है। सिंगौरगढ़ किला, ये वही स्थान है जिसे दुर्गावती का विवाह स्थल कहा जाता है। ये जिला दमोह में स्थित है। वैसे तो गढ़ मंडला गोंड साम्राज्य का एक हिस्सा रहा है लेकिन मोती महल के केयर टेकर ने बताया कि वे सिंगौरगढ़ से सीधा युद्ध करते मदन महल पहुंची थीं। मंडला में उनके रिश्तेदारों का ही रहवास रहा है। जिसे इतिहासकारों द्वारा रानी से जोड़कर देखा जाता रहा है। दुर्गावती को तीर तथा बंदूक चलाने का अच्छा अभ्यास था। चीते के शिकार में इनकी विशेष रुचि थी। उनके राज्य का नाम गढ़मंडला था जिसका केन्द्र जबलपुर था। मंडला में दुर्गावती के हाथीखाने में उन दिनों 1400 हाथी थे। इनके शासन में राज्य ने खूब उन्नति की। इनके द्वारा बनवाए गए तालाब, बावड़ी अब भी मौजूद हैं। बताते हैं कि इनमें पानी भी फिल्टर होता था।
Bundelkhand
टीकमगढ़ का बॉटल महल
टीकमगढ़ में शहर से 5 किमी दूर गणेशगंज में शराब की बोतलों से बना शीश महल या बॉटल हाउस अपनी तरह की दुर्लभ कृति है। इसमें कुल छह कमरे, रसोई, सौंदर्य प्रसाधन गृह और अतिथियों के बैठने के लिए फर्नीचर भी है। टीकमगढ़ जिले के ही ओरछा में विश्व प्रसिद्ध श्रीरामराजा सरकार का मंदिर है। यह धार्मिक व पर्यटन नगरी भी कहलाती है। हर साल यहां सैकड़ों सैलानी आते हैं। यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी हो चुकी है। शीश महल (बोतल हाउस) के नाम से प्रसिद्ध यह महल बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले में है।
इस महल के बनने की कहानी कुछ निराली है। बात 1927 की है जब इस इलाके को ओरछा रियासत के नाम से जाना जाता था और यहां के राजा वीर सिंह जूदेव हुआ करते थे। उनके यहां दूसरी रियासतों के राजाओं के साथ खास मेहमानों के आने पर उनका स्वागत राजशाही अंदाज में हुआ करता था। मेहमानों के लिए खास तरह के व्यंजनों के साथ उम्दा किस्म की शराब भी परोसी जाती थी। एक बार हजारों की तादाद में शराब की बोतलें इक_ा हो गईं। इन बोतलों को फेंका जा रहा था, तभी रियासत के बागबान और आस्ट्रेलिया के सर विडवर्न ने राजा वीर सिंह जूदेव को सलाह दी कि वे बोतलों से महल बना सकते हैं। राजा ने उन्हें ऐसा करने की अनुमति दे दी। ये वही स्थान है जिसे दुर्गावती का विवाह स्थल कहा जाता है। ये जिला दमोह में स्थित है। वैसे तो गढ़ मंडला गोंड साम्राज्य का एक हिस्सा रहा है लेकिन मोती महल के केयर टेकर ने बताया कि वे सिंगौरगढ़ से सीधा युद्ध करते मदन महल पहुंची थीं। मंडला में उनके रिश्तेदारों का ही रहवास रहा है। जिसे इतिहासकारों द्वारा रानी से जोड़कर देखा जाता रहा है।

Hindi News / Sagar / New Year पर आइए MP के दिल बुंदेलखंड में, इन स्थलों पर घूमकर आ जाएगा मजा

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.