सागर

अग्निकुंड मेला में उमड़ा आस्था का सैलाब, मनोकामना पूर्ति के लिए अग्निकुंड से नंगे पैर निकले सैकड़ो श्रद्धालु

सागर/देवरी. जिले के देवरी में ऐतिहासिक देव खंडेराव मंदिर में अगहन मास में 9 दिनों का अग्निकुंड मेला भरता है। यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है। चंपा छठ शनिवार को मनोकामना पूर्ति के लिए भक्त नंगे पैर दहकते अंगारों पर निकले। यहां 140 अग्निकुंड बनाए गए।

सागरDec 10, 2024 / 12:42 pm

रेशु जैन

agnimela

ऐतिहासिक देव खंडेराव मंदिर में लगा मेला

सागर/देवरी. जिले के देवरी में ऐतिहासिक देव खंडेराव मंदिर में अगहन मास में 9 दिनों का अग्निकुंड मेला भरता है। यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है। चंपा छठ शनिवार को मनोकामना पूर्ति के लिए भक्त नंगे पैर दहकते अंगारों पर निकले। यहां 140 अग्निकुंड बनाए गए। जिनमें सैकड़ों की संख्या में भक्त शामिल हुए। अगहन मास की षष्ठी यानि चंपा छठ से भरने वाला मेला पूर्णिमा तक चलेगा। अग्निकुंड से निकलने वाले श्रद्धालु नए पीले वस्त्र धारण कर मंदिर में सुबह 9.00 बजे से 12.00 बजे तक पूजन करने के बाद अग्निकुंड के सामने श्रद्धाभाव से खड़े हुए। जब 12.15 बजे सूर्य का प्रकाशपुंज मंदिर के बने स्वयंभू पर पड़ा, उस समय श्रद्धालु भगवान देव खंडेराव का जयकारा लगाना शुरू दिया। दोनों हाथों से हल्दी अंगारों पर डालते हुए अग्निकुंड से निकले। मंदिर के पुजारी नारायणराव वैद्य ने बताया की 15 से 16 सदी के बीच देव खंडेराव का मंदिर निर्माण कराया गया था मंदिर में एक प्रतिमा देवकी घोड़े पर सवार है और उनकी गोद में मां विश्वसुंदरी महामाया में मामलासा विराजमान है।

स्वस्थ रहने की कामना के साथ दहकते अंगारों पर चलते है लोग
मंदिर के पुजारी ने बताया कि राजा यशवंतराव के पुत्र बीमार हो गए थे तब देवखंडेराव ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि हल्दी के उल्टे हाथ लगाकर और भट्टियां खुदवाकर अंगारे डालें और ऊपर से अंगारों पर हल्दी छोडक़र निकलेंगे तो आपके पुत्र स्वस्थ हो जाएगा तब से यह प्रथा शुरू हो गई। लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर देवश्री खंडेराव जी के अग्नि मेले में नंगे पैर निकलते आ रहे हैं उन्होंने बताया कि पहले यह मेला 3 दिन लगता था अब लोगों की आस्था को देखते हुए इसको 10 दिन के लिए किया गया है।
पूर्व विधायक सुनील जैन ने किया पूजन
पूर्व विधायक सुनील जैन ने अपने परिवार सहित मंदिर में पूजा-अर्चना की और आग पर चलकर तीन परिक्रमा पूरी की। यह उनका लगातार 34वां वर्ष है, जब उन्होंने इस परंपरा का निर्वाह किया। पूजा-अर्चना और अग्नि परिक्रमा के बाद सुनील जैन ने देवरी के साथीजनों से मुलाकात की और प्रसाद का वितरण किया।

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