टीकमगढ़. जिले में एक स्कूल ऐसा है जहां पर प्राचार्य का पूरा काम हर दिन किन्ही दो छात्राओं को सौंपा जाता है। सुबह स्कूल की प्रेयर कराने के साथ ही यह दिन भर हर क्लास में जाकर बच्चों की उपस्थिति के साथ ही उस दिन की पढ़ाई का फीडबैक लेती है तो स्कूल की साफ सफाई के साथ ही वहां की पूरी व्यवस्थाओं का प्रबंध करती है। ऐसे में न केवल छात्राओं में आत्मविश्वास पैदा हो रहा है, बल्कि वह प्रशासनिक व्यवस्थाओं को भी समझ पा रही है।
टीकमगढ़ के उत्कृ़ष्ट विद्यालय क्रमांक 1 के प्राचार्य डॉ. सुनील श्रीवास्तव ने 15 अक्टूबर से स्कूल में एकेडमिक प्राचार्य की व्यवस्था शुरू की है। उनका कहना है कि शासन स्तर से चलाए गए नारी शक्ति अभियान के बाद उनके मन में यह विचार आया था। उनका कहना था कि छात्राओं के मन में आत्मविश्वास पैदा करने, उन्हें प्रशासनिक कार्य पद्धति से वाकिफ कराने एवं भविष्य मेें ऐसे पदों पर पहुंचने पर आने दायित्व को भली प्रकार से निर्वाहन करने की सोच के साथ यह नवाचार शुरू किया है। उनका कहना है कि प्रति दिन अलग-अलग शिक्षकों द्वारा दो छात्राओं के नाम सुझाए जाते है। इसके बाद प्रार्थना से लेकर स्कूल की छुट्टी होने तक यह दोनों छात्राएं ही स्कूल की सारी व्यवस्थाएं देखती है। वह कहते है कि इसके बाद से स्कूल के अन्य छात्रों के मन में भी इसका सकारात्मक असर पड़ रहा है और व्यवस्थाएं भी बेहतर होती दिख रही है। उनका कहना था कि इन एकेडमिक प्राचार्य को पूरे दिन सभी शिक्षक और छात्र प्राचार्य की तरह ही ट्रीट करते है।
शाम को रजिस्टर में फीडबैक प्राचार्य श्रीवास्तव बताते है कि पूरे दिन की गतिविधि के बाद यह एकेडमिक प्राचार्य उनके द्वारा दिए गए फीडबैक रजिस्टर में अपना अनुभव दर्ज करती है। किस क्लास में कितने बच्चे आए, कौन बच्चा लगातार अनुपस्थित है, कौन से शिक्षक कैसा पढ़ा रहे है, कौन गाइड का सहरा ले रहे है, कहां सफाई की कमी देखी गई, कौन बच्चा पढ़ाई में कमजोर है जैसी सभी जानकारी इस रजिस्टर में दर्ज की जाती है। किसी शिक्षक के अनुपस्थित होने पर उनकी जगह दूसरी शिक्षक की व्यवस्था करना भी इनके अधिकार में होता है। पिछले तीन दिनों से चल रही इस व्यवस्था के बाद स्कूल की व्यवस्थाओं में सुधार करने में भी मदद मिल रही है। उनका कहना है कि शिक्षकों के फीडबैक के लिए अब तय किया है कि जब यह एकेडमिक प्राचार्य कक्षा में जाएंगे तो उस समय शिक्षक क्लास से बाहर आ जाएंगे, ताकि छात्रों को किसी भी शिक्षक की कमी बताने या स्कूल की कमी बताने में संकोच न हो। उनका कहना था कि इस व्यवस्था के बाद से स्कूल में काफी बदलाव देखा जा रहा है।
काम कठिन है, लेकिन अच्छा है शुक्रवार को एकेडमिक प्राचार्य की भूमिका निभाने वाली काजल यादव एवं आयुषी झा का कहना था कि पूरे स्कूल का प्रबंधन करना मुश्किल काम है, लेकिन बहुत अच्छा लगा। पूरे दिन प्राचार्य की व्यवस्थाएं देखने के बाद समझ में आया कि आखिर कैसे एक संस्था का प्रबंध किया जाता है। सुबह से जब प्रेयर के पहले नाम बोला गया तो उसी समय से काम का दबाव मन में आ गया था, लेकिन पूरे दिन काम करने के बाद अच्छा लगा और मन में विश्वास पैदा हुआ है कि हम भी इसे कर सकते है।
इस समाचार के साथ टीकेएम 19-01 फोटो है। कैप्शन: टीकमगढ़। स्कूल में छात्रों से चर्चा करती एकेडमिक प्रिंसिपल।