विगत दिनों आयकर विभाग की कार्रवाई के दौरान अधिकारियों को बंगले के अंदर 4 मगरमच्छ और अन्य वन्यप्राणी मिले थे। अधिकारियों ने इसका वीडियो भी बनाया था। सर्वे कार्य पूरा होने के बाद अधिकारियों ने वन विभाग को इसकी जानकारी दी थी और मगरमच्छ पालने की अनुमति और दस्तावेज जांचने की प्रक्रिया चल रही थी।
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रोजाना 15 किलो मछली खाता था एक मगरमच्छ
बता दें कि सबसे आखिरी में रेस्क्यू किए गए मगरमच्छ की लंबाई पौने आठ फीट थी। बताया ये भी जा रहा है कि, इन मगरमच्छ को रोजाना करीब 15 किग्रा मछली खिलाई जाती थी। मौजूदा समय में चारों मगरमच्छ स्वस्थ्य हैं और उन्हें नौरादेही स्थित बमनेर नदी में छोड़ा गया है।शहर के लोग वन्यजीव देखने विधायक के घर पहुंचते थे
राठौर परिवार समय-समय पर यह दावा करता रहा है कि उनके पास वन्यजीवों के अवशेष और मगरमच्छ को लेकर सभी प्रकार के दस्तावेज हैं। वे इस बात की जानकारी 1980 और 90 के दशक में वन विभाग को दे चुके हैं। हालांकि, अभी वन अमला इस मामले में कुछ भी कहने से बच रहा है। लोगों ने मानें तो राठौर बंगले में 50-60 साल से मगरमच्छ पाले जा रहे हैं। शहर के लोग वन्यजीवों को देखने बच्चों समेत यहां पहुंचते थे। उनके बंगले के कमरों की दीवारों पर भी जानवरों की खालें टंगी दिखती हैं। यह भी पढ़ें- जिला अध्यक्ष नियुक्ति पर ‘बवाल’ : इंदौर पर ‘कब्जे’ के लिए अड़े कैलाश, घोषणा उलझी