दशकों पहले हुआ करती थी टॉकीज
फिल्म फेस्टिवल के आयोजन अभिनेता, फिल्मकार राजा बुंदेला ने बताया कि स्थापत्य कला के अनुपम मंदिरों की नगरी खजुराहो इन दिनों फिल्मी दुनिया और रंगमंच की दुनिया के लोगों के रंग में रंगा हुआ है। यहां सबसे बड़ा आकर्षण ‘टपरा टॉकीज’ है। कई दशकों पहले इस तरह के टॉकीज हर मध्यम और छोटे शहरों में हुआ करते थे। खजुराहो में इन दिनों फिल्म महोत्सव चल रहा है। देश और दुनिया की फिल्मों के प्रदर्शन के लिए यहां भव्य सभागार या टॉकीज या सिनेप्लेक्स तो है नहीं, लिहाजा पन्ना से लाए गए बांस, बल्ली और त्रिपाल आदि की मदद से टपरा टॉकीज’ बनाए गए हैं। इन ‘टपरा टॉकीजों’ को भव्य और आकर्षक रूप दिया गया है।
फिल्म फेस्टिवल के आयोजन अभिनेता, फिल्मकार राजा बुंदेला ने बताया कि स्थापत्य कला के अनुपम मंदिरों की नगरी खजुराहो इन दिनों फिल्मी दुनिया और रंगमंच की दुनिया के लोगों के रंग में रंगा हुआ है। यहां सबसे बड़ा आकर्षण ‘टपरा टॉकीज’ है। कई दशकों पहले इस तरह के टॉकीज हर मध्यम और छोटे शहरों में हुआ करते थे। खजुराहो में इन दिनों फिल्म महोत्सव चल रहा है। देश और दुनिया की फिल्मों के प्रदर्शन के लिए यहां भव्य सभागार या टॉकीज या सिनेप्लेक्स तो है नहीं, लिहाजा पन्ना से लाए गए बांस, बल्ली और त्रिपाल आदि की मदद से टपरा टॉकीज’ बनाए गए हैं। इन ‘टपरा टॉकीजों’ को भव्य और आकर्षक रूप दिया गया है।
स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करने का मकसद
यहां फिल्म महोत्सव आयोजित कर बुंदेलखंड इलाके के ग्रामीणों को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करते हुए सांस्कृतिक स्तर पर उनमें जागरूकता पैदा करने की पहल है। इसीलिए इस फिल्म महोत्सव का स्वरूप थोड़ा अलग है। वैसे तो महोत्सव केवल फिल्मी सितारों तक सीमित होकर रह जाता है। मगर खजुराहो फिल्म महोत्सव इनसे अलग ग्रामीणों को समर्पित रहता है। खजुराहो फिल्म महोत्सव के जरिए फिल्मों को दूर गांवों तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है। दिन भर फिल्मों के प्रदर्शन के बाद हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें क्षेत्रीय लोककला के साथ ही अन्य राज्यों की लोककलाओं का प्रदर्शन होता है जिसमें हजारों दर्शकों की भागीदारी होती है।
यहां फिल्म महोत्सव आयोजित कर बुंदेलखंड इलाके के ग्रामीणों को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करते हुए सांस्कृतिक स्तर पर उनमें जागरूकता पैदा करने की पहल है। इसीलिए इस फिल्म महोत्सव का स्वरूप थोड़ा अलग है। वैसे तो महोत्सव केवल फिल्मी सितारों तक सीमित होकर रह जाता है। मगर खजुराहो फिल्म महोत्सव इनसे अलग ग्रामीणों को समर्पित रहता है। खजुराहो फिल्म महोत्सव के जरिए फिल्मों को दूर गांवों तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है। दिन भर फिल्मों के प्रदर्शन के बाद हर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें क्षेत्रीय लोककला के साथ ही अन्य राज्यों की लोककलाओं का प्रदर्शन होता है जिसमें हजारों दर्शकों की भागीदारी होती है।
कार्यशाला में अभिनय की बारीकियों पर हुई चर्चा
फिल्म महोत्सव के चौथे दिन एक विशेष कार्यशाला का आयोजन भी किया गया, जिसमें मशहूर खिचड़ी धारावाहिक के बाबूजी अनंत देसाई की पत्नी और अभिनेत्री चित्रा देसाई, लेखक-निर्देशक राकेश साहू और डायरेक्टर जगदीश शिवहरे ने बच्चों और नवोदित फिल्मकारों को अभिनय के बारीकियों के बारे में जानकारी दी। बरनाली शुक्ला फिल्म मेकर और स्टोरी राइटरने भी इस कार्यशाला में भाग लिया और कहा कि वह कई नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं, जिन्हें मार्च तक प्रदर्शित किया जाएगा।
फिल्म महोत्सव के चौथे दिन एक विशेष कार्यशाला का आयोजन भी किया गया, जिसमें मशहूर खिचड़ी धारावाहिक के बाबूजी अनंत देसाई की पत्नी और अभिनेत्री चित्रा देसाई, लेखक-निर्देशक राकेश साहू और डायरेक्टर जगदीश शिवहरे ने बच्चों और नवोदित फिल्मकारों को अभिनय के बारीकियों के बारे में जानकारी दी। बरनाली शुक्ला फिल्म मेकर और स्टोरी राइटरने भी इस कार्यशाला में भाग लिया और कहा कि वह कई नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रही हैं, जिन्हें मार्च तक प्रदर्शित किया जाएगा।
फोटो- टपरा टॉकीज