प्रदेश में इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट होगा, जिसमें पानी के ऊपर सोलर प्लेट लगाई जाएगी। यह फ्लोटिंग माडल पर होगा जो पानी पर तैरता रहेगा। बारिश के दिनों में बांध का पानी ऊपर आने पर सोलर प्लेट भी उसी के अनुरूप ऊपर आएगी और घटने पर पानी के साथ ही नीचे चला जाएगा। इस तरह का प्रयोग गुजरात में भी शुरू किया गया है। जहां बांध एवं नहरों में सोलर प्लेट लगाकर बिजली उत्पादन करने का कार्य प्रारंभ हो चुका है। उसी तर्ज पर बाणसागर बांध के पानी पर भी बिजली उत्पादन की संभावनाएं तलाशी गई हैं। एनटीपीसी और एनएचपीसी के अधिकारी निरीक्षण कर चुके हैं, केन्द्र सरकार को ये अपनी रिपोर्ट देंगे। बाणसागर बांध में 11800 हेक्टेयर क्षेत्रफल में पानी का डेड जोन है। जहां पर बांध का पानी निचले लेवल पर सबसे कम फैलाव में रहता है।
– पांच हजार मेगावॉट तक का प्लांट लगने का अनुमान
नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यदि बाणसागर बांध में प्रस्तावित प्रोजेक्ट प्रारंभ होता है तो यहां पर पांच हजार मेगावॉट क्षमता तक का प्लांट लगाया जा सकता है। अभी यह तय नहीं हो पाया है कि कितनी क्षमता का सोलर पॉवर प्लांट बाणसागर बांध के ऊपर लगाया जाएगा। एनटीपीसी एवं एनएचपीसी की रिपोर्ट आने के बाद ही यह तय हो पाएगा कि कितने क्षमता का सोलर पॉवर प्लांट यहां पर लगेगा। पांच हजार मेगावॉट क्षमता का यदि प्लांट लगाया जाता है तो वर्तमान में यह दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट होगा।
– विंध्य के एनर्जी हब को मिलेगी नई पहचान
बिजली उत्पादन को लेकर विंध्य का देश में अपना अलग महत्व है। यहां पर थर्मल एवं हाइडल पॉवर के कई बड़े प्लांट हैं। रीवा में 750 मेगावॉट का सोलर पॉवर प्लांट भी स्थापित हो चुका है। साथ ही कचरे से बिजली बनाने का भी पॉवर प्लांट भी बनाया जा रहा है। अब पानी के ऊपर भी सोलर प्लेट लगाकर यदि बिजली का उत्पादन प्रारंभ किया जाता है तो यहां पर बिजली उत्पादन के सभी प्रारूप मौजूद होंगे।
– अभी ये हैं सबसे बड़े सोलर पार्क
सोलर एनर्जी के क्षेत्र में चीन और भारत में ही सबसे तेजी के साथ प्रयोग हो रहे हैं। वर्तमान में राजस्थान के भाडला में 2245 मेगावॉट, कर्नाटक के पवागड़ा में 2000 मेगावॉट का शक्ति स्थल सोलर पार्क और पवागड़ा सोलर पार्क 1400 मेगावॉट, आंध्रप्रदेश के कुरनूल में 1000 मेगावॉट, तमिलनाडु के कामुडी में 648 मेगावॉट के सोलर प्लांट हैं। इसी तरह चीन में टेंगर डेजर्ट सोलर पार्क 1500 मेगवॉट, डटोंग सोलर टाप रनर बेस 1000 मेगावॉट, लांज्ञांग्जिंया डेम सोलर पार्क 850 मेगावाट आदि हैं। वहीं अबूधाबी में नूर सोलर पार्क 1117 मेगावॉट और मोरक्को में नूर काम्पलेक्स सोलर पार्क 580 मेगावॉट के हैं। रीवा के 750 मेगावॉट क्षमता के प्लांट का लोकार्पण होने के बाद इसका भी नाम दुनिया के प्रमुख सोलर पार्कों में शामिल हो जाएगा। बाणसागर बांध में यदि अनुमान के मुताबिक पांच हजार मेगावॉट क्षमता का सोलर प्लांट लगाया जाता है तो यह दुनिया का सबसे बड़ा प्लांट कहलाएगा।
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फ्लोटिंग माडल पर बाणसागर बांध में सोलर पॉवर प्लांट लगाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। एनटीपीसी एवं एनएचपीसी ने कुछ जानकारी मांगी है, जिन्हें उपलब्ध कराई गई है। बांध में 11800 हेक्टेयर पानी का डेड एरिया है। यदि बिना किसी बाधा के इतने क्षेत्र में सोलर पैनल लगाए जाते हैं तो करीब पांच हजार मेगावॉट बिजली का उत्पादन हो सकता है। जब तक रिपोर्ट फाइनल नहीं हो जाती, कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
एसएस गौतम, जिला अक्षय ऊर्जा अधिकारी