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रीवा

स्वच्छता के नाम पर करोड़ों फूंके फिर भी स्टार रेटिंग के लायक नहीं रहा रीवा

– स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 का परिणाम जारी होने के बाद प्रबंधन की व्यवस्थाओं को लेकर उठ रहे सवाल- 5 स्टार रेटिंग के लिए रीवा शहर का हुआ था स्वच्छता सर्वेक्षण

रीवाMay 21, 2020 / 08:52 am

Mrigendra Singh

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swachhta survey star reting 2020 rewa, nagar nigam rewa



रीवा। शहर में स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान की गई तैयारियों की हवा निकल गई है। केन्द्र सरकार ने प्रमुख शहरों की स्टार रेटिंग जारी की है जिसमें रीवा का कहीं भी जिक्र नहीं है। जबकि स्वच्छता के नाम पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, इसके बावजूद शहर का नाम स्टार रेटिंग में शामिल नहीं हुआ है। पूर्व में स्वच्छता को लेकर रीवा शहर की स्थितियां बेहतर रही हैं, जिसके चलते इस बार भी उम्मीद थी कि संभाग में रीवा नगर निगम का प्रदर्शन अन्य से बेहतर होगा।
सिंगरौली नगर निगम को थ्री स्टार की रेटिंग दी गई है। नगर निगम की शुरुआती तैयारियां सही दिशा में जा रही थी, इस वजह से माना जा रहा था कि इस बार अच्छी रेटिंग हासिल होगी। ओडीएफ प्लस प्लस का सर्टिफिकेट रीवा ने अन्य शहरों से पहले हासिल कर लिया था। यहां तक की जबलपुर, ग्वालियर जैसे बड़े शहर भी इसमें पिछड़ गए थे। सर्वे में अंकों के लिए यह बड़ा आधार माना जाता है। इसी के बाद नगर निगम ने ५ स्टार रेटिंग के लिए आवेदन किया था और उसी के अनुसार सर्वे भी कराया गया।

– बीते साल वन स्टार का था दर्जा
बीते साल हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम को 75वां स्थान मिला था। पहले स्वच्छता रैंकिंग शहरों की जारी की गई थी। इसके बाद उसी रैंकिंग के आधार पर शहरों की स्टार रेटिंग तय हुई थी। जिसमें रीवा नगर निगम को वन स्टार का दर्जा मिला था। इस बार स्टार रेटिंग का सर्वे पहले जारी किया गया है, अब स्वच्छता रैंक बाद में जारी होगी। शहर के लिए यह झटका है, यदि स्वच्छता रैंक पहले जारी होती तो स्टार रेटिंग के लिए दावा मजबूत हो सकता था लेकिन अब बिना रेटिंग के इस शहर को बेहतर रैंक मिलना मुश्किल है।

– ऐसे खर्च कर रहे शहर की सफाई के नाम पर
शहर की स्वच्छता के नाम पर हर महीने बड़ी रकम खर्च हो रही है। जिसमें नियमित और मस्टर कर्मियों का हर महीने वेतन करीब ८५ लाख रुपए, पांच लाख रुपए से अधिक का ब्लीचिंग पाउडर, फिनायल एवं अन्य कीटनाशक, १५ लाख रुपए शहर के कचरा उठाव के लिए भुगतान, ११ लाख रुपए की दर से प्रति स्वीपिंग मशीनों का किराया, चार स्वीपिंग मशीन किराए पर थी, दो को बीच में हटा दिया था। हर साल ५० लाख रुपए से अधिक स्वच्छता सर्वेक्षण के प्रचार एवं अन्य तैयारियों में खर्च हो रहे हैं। हर वार्ड में स्वच्छता प्रेरक एवं स्व सहायता समूहों के सदस्य भेजे जाते रहे इनके मानदेय में भी लाखों रुपए खर्च होते रहे हैं।

– सत्यापन में जानकारी गलत पाए जाने पर रेटिंग से बाहर
स्टार रेटिंग के लिए दिल्ली से अलग टीम आई थी। जिसने नगर निगम द्वारा डाक्यूमेंटेशन की अपलोड की गई जानकारी का डायरेक्ट आब्जर्वेशन किया। जिसमें इनके दावे गलत पाए गए। पहले से ही तय किया गया था कि यदि गलत जानकारी हुई तो माइनस मार्किंग भी की जाएगी। कचरा प्रबंधन के दावे गलत साबित हुए हैं। निगम का दावा था कि कचरा प्रबंधन प्लांट निर्माणाधीन है लेकिन कोष्टा प्लांट का टीम ने भ्रमण किया तो वहां केवल कचरे का ढेर मिला। इसी तरह घरों में सूखे और गीले कचरे का प्रबंधन कराने में भी दावे फेल हुए हैं।

– एक-दूसरे पर फोड़ रहे नाकामी का ठीकरा
स्वच्छता की रेटिंग में रीवा का नाम नहीं होने पर अब आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है। भाजपा के निवर्तमान पार्षदों ने कांग्रेस की सरकार पर शहर को विकास और स्वच्छता की रफ्तार रोकने का आरोप लगाया तो वहीं कांग्रेस के पार्षदों ने कहा है कि परिषद और मेयर इन काउंसिल सब भाजपा की रही तो फिर क्यों ठीक से तैयारियां नहीं कराई गई। अब दोनों पक्ष एक-दूसरे को इसका दोषी बताने में जुटे हैं।
– पूर्व की स्वच्छता रैंकिंग पर एक नजर
2016- 398 रैंक
2017- 38वीं रैंक
2018- 49वीं रैंक
2019- 75५वीं रैंक

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पूर्व में स्वच्छता की तैयारियां और सर्वे को लेकर हमें जानकारी नहीं है, क्योंकि मैं यहां बाद में आया। यह जरूर है कि जहां पर कमियां रह गई होंगी उनकी समीक्षा कर आगे बेहतर रैंक दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।
एसके पाण्डेय, उपायुक्त नगर निगम

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