गांव में करीब आधा दर्जन से अधिक की संख्या में दूध डेयरियां खुल गई हैं। इसके अलावा हर घर पर दूध देने वाले मवेशी पाले गए हैं। यहां पर एक बार में एक हजार लीटर से अधिक का दूध उत्पादन हो रहा है। बताया गया है कि गांव में सबसे पहले शांतिनारायण पाण्डेय ने तीन गाय और भैंस रखकर 1995 से दूध का कारोबार शुरू किया।
उस दौरान कम मात्रा में दूध होता था लेकिन इस कार्य को पूरी तन्मयता के साथ करते हुए लगे रहे। धीरे-धीरे गांव के साथ ही आसपास के गांवों में करीब दो दर्जन से अधिक की संख्या में डेयरियां खुल गई हैं। कपसा के नाम पर ही यह उत्पादन जाना जाता है। रीवा शहर में कामधेनु के नाम से दूध और मिठाइयों का बड़ा कारोबार भी इन्हीं के द्वारा किया जा रहा है।
– पांच हजार दुग्ध उत्पादकों को जोडऩे की तैयारी
दुग्ध उत्पादन में तेजी के साथ ही हो रही वृद्धि को अब व्यापक पैमाने पर कारोबार स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। केडी मिल्क प्रोड्यूसर के नाम से कंपनी का रजिस्ट्रेशन किया गया है। यह सहकारी दुग्ध संघ के रूप में काम करेगी और सेमरिया क्षेत्र के करीब पांच हजार से अधिक की संख्या में किसानों को जोड़कर दूध का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देगी। कंपनी की ओर से कहा गया है कि किसानों को मवेशी पालने और व्यवसाय से जुडऩे के लिए आर्थिक मदद भी पहुंचाई जाएगी ताकि दुग्ध उत्पादन का अच्छा कारोबार हो सके।
– मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट से बढ़ेगी दूध की मांग
कपसा गांव में करीब 15 करोड़ रुपए की लागत से कामधेनु गु्रप की ओर से ही मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जा रही है। इसमें जल्द ही कार्य प्रारंभ कर दिया जाएगा। जिसके चलते दूध की मांग तेजी के साथ बढ़ेगी। इसलिए जिले के अन्य हिस्सों से भी दूध वहां पर पहुंचाने का कार्य होगा। यह यूनिट आसपास के किसानों को दूध उत्पादन से जुडऩे में मदद करेगी।
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शुरुआत तो हमारे यहां तीन गायों से हुई थी, धीरे-धीरे संख्या बढ़ी और अब २५० के पार पहुंच गई है। गांव के साथ ही आसपास करीब दो दर्जन की संख्या में डेयरियां हो चुकी हैं। लोगों की बढ़ती रुचि को देखते हुए कोआपरेटिव सोसायटी का पंजीयन कराया है। जिसमें पांच हजार किसानों को जोडऩे का टारगेट है। अपने क्षेत्र को प्रदेश का प्रमुख दुग्ध उत्पादन केन्द्र बनाने की इच्छा है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
शांतिनारायण पाण्डेय, दुग्ध उत्पादक कपसा(कामधेनु डेयरी)
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