एसजीएमएच में आकस्मिक चिकित्सा विभाग के सामने स्टे्रचर पर राजगढ़ निवासी वृद्धि महिला सुशीला मिश्रा कराह रहीं थीं। अस्पताल के गार्ड के पूछने पर महिला तीमादारों ने बताया कि लकवा मार दिया था। सप्ताहभर पहले संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टर ने रीवा हॉस्पिटल में सिर का आपरेशन किया था। डॉक्टर ने मरीज को लेकर तीमारों को शनिवार दोपहर वार्ड में भर्ती के लिए बुलाया था। तीमारदारों ने गार्ड को बताया कि डॉक्टर ने वार्ड में भर्ती करने के लिए कहा है। डॉक्टर यह भी बोलें हैं कि अब चेकअप के लिए उन्हें रीवा हॉस्पिटल नहीं जाना पड़ेगा, अस्ताल की ओपीडी में आना पड़ेगा। इस लिए उनका इंतजार कर रही हूं। अगली बार दिखाने के लिए यहीं पर आना होगा।
अस्पताल के आपरेशन कक्ष में भिनभिना रहीं मक्खियां
यह कहानी अकेले एक दिन की नहीं बल्कि हर रोज मरीज अस्पताल के सीएमओ कक्ष से लेकर आकस्मिक चिकित्सा विभाग में पहुंच रहे हैं। जिनके पूछताक्ष के बाद पता चलता है कि एसजीएमच की ओपीडी में दिखाने के बाद निजी अस्पताल में आपरेशन कराने के लिए गए थे अब भर्ती के लिए अस्पताल आ रहे हैं। इसी तरह नाक, कान, गला, मेडिसिन, और सर्जरी विभाग में भी मरीजों को ओपीडी में चेकअप के बाद प्राइवेट हॉस्पिटल में भेजकर चिकित्सक ऑपरेशन कर रहे हैं। जबकि अस्पताल के आपरेशन कक्ष में कबाड़ होता जा रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी इस कदर है कि चिकित्सकों की मनमानी के चलते आकस्मिक चिकित्सा विभाग के सामने स्थित आपरेशन कक्ष में मक्खियां भिनभिना रहीं हैं।
जीएमएच में गायनी विभागाध्यक्ष डॉक्टर कॉलोनी में महिलाओं का चेकअप करने के बाद अस्पताल में प्रसव करा रहीं हैं। प्रसव के बाद इलाज के लिए आवास पर मरीजों की कतार लग रही है। इसी तरह नेत्र विभाग में अस्पताल की ओपीडी में चेकअप के बाद डॉक्टर आवास पर मरीजों को देख रहे हैं। आपरेशन या फिर लेंस बदलने के निए संजय गांधी अस्पताल के संसाधन का उपयोग किया जा रहा है।