सतना के कई जंगलों में कैमरे लगाकर बाघों की गतिविधियां कैद की जाएंगी। यह गणना आगामी 11 जनवरी तक चलेगी, इसके बाद देहरादून में गणना की समीक्षा के बाद बाघों एवं अन्य जानवरों की संख्या आधिकारिक रूप से घोषित की जाएगी। सतना एवं सीधी जिले के जंगलों में बाघों की मौजूदगी होने की वजह से सीमावर्तो क्षेत्रों में जंगल के रास्ते रीवा जिले में बाघों की आवाजाही रहती है। इसलिए माना जा रहा है कि सीमा क्षेत्रों में बाघों के रहवास का पता चल सकता है। बताया गया है कि सतना जिले के जंगलों और गांवों में बाघों की गतिवधियां अधिक देखी जाती हैं, प्रथमचरण के गणना में कई जगह पर रहवास भी मिले हैं।
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गणना की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद जारी होगी संख्या
बाघों की गणना की संख्या जारी होने में अब तक लंबा समय लगता रहा है। इस बार मोबाइल ऐप के जरिए बाघों की गणना करने, फोटो अपलोड करने और डाटा अपलोड करने से बाघों की गणना के परिणाम दस माह के अंदर आने की उम्मीद है। डाटा मिलने के तुरंत बाद वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया देहरादून इसकी वैज्ञानिक रूप से आकलन भी शुरू कर देगा। अभी तक गणना का काम मैनुवल होता था, इसके बाद इसे उनके सिस्टम पर अपलोड किया जाता गाल इसमें काफी समय लगता था। इसके चलते बाघों की गणना के आंकड़े आमतौर पर सवा से डेढ़ साल में आते थे।