एक साल के बाद भी स्थिति साफ नहीं है कि शहर में चलने वाली बसों की संख्या बढ़ेगी या फिर नहीं। बस आपरेटर्स संसाधनों की कमियां बता कर राजी नहीं हो रहे हैं। इसके लिए निगम के अधिकारियों ने कई दौर की वार्ता इनके साथ की है और आश्वासन दिया है कि प्रोजेक्ट में निर्धारित शर्तों के तहत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। पूर्व में दो बार टेंडर प्रक्रिया बस आपरेटर्स की उदासीनता के चलते अधूरी रह गई है। पूर्व में सरकार ने आपरेटर्स की कई शर्तें मान ली थी, उन्हें छूट भी देने का प्रयास हुआ है। इसके बाद भी कम संख्या में इनकी रुचि नजर आ रही है। कई शर्तें ऐसी हंै जिसमें रीवा शहर के आपरेटर पूरा नहीं कर पा रहे हैं। करीब दर्जन भर आपरेटर ही ऐसे हैं जो सिटी बसों का टेंडर डाल सकते हैं। नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि दो बचे हुए क्लस्टर के लिए फिर से टेंडर की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।
– डिपो बनाने की तैयारी, स्टापेज बेतरतीब
योजना के तहत बसों के खड़े होने के लिए डिपो की जरूरत है। यह व्यवस्था बसें चलाने से पहले बनानी थी लेकिन तकनीकी अड़चनों के चलते इसका अब टेंडर स्वीकृत हुआ है। जिसकी वजह से शहर के ट्रांसपोर्ट नगर में ३.११ करोड़ रुपए से बस डिपो बनाया जाएगा। इसके अलावा बसों के स्टापेज के साथ ही सड़कों के किनारे यात्री प्रतीक्षालय बनाए जाने हैं, वह कार्य भी अधूरा है। पूर्व में विज्ञापन प्रदर्शन के लिए कुछ स्थानों पर यात्री प्रतीक्षालय बनाए गए थे, उनका स्थान सही नहीं होने की वजह से सबका उपयोग नहीं हो रहा है। निगम अधिकारियों का कहना है कि इसकी भी जल्द ही व्यवस्था बनाई जाएगी।
-23 चलानी थी बसें और चल रही 11
शहर में क्लस्टर नंबर दो में 23 बसें चलाई जानी हैं। जिसमें अब तक महज 11 ही चल रही हैं। पहले पांच बसों से शुरुआत हुई थी, इसके बाद छह बसें आईं। इस क्लस्टर में अब भी 12 बसें नहीं चलाई जा सकी हैं। ये 52 सीटर बसें हैं, जो अभी चल रही हैं वह 34 सीट की हैं। बड़ी बसें जबलपुर और छतरपुर रूट पर भेजी जाएंगी। दो अन्य जो क्लस्टर हैं, उनमें भी कुछ बसें 34 सीटर और शेष 52 सीटर हैं।
– बोर्ड की बैठक लंबे समय से नहीं
रीवा सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस लिमिटेड के नाम से कंपनी गठित की गई है। इसमें महापौर, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, निगम आयुक्त, एसडीएम, आरटीओ आदि को शामिल किया गया है। बीते साल सितंबर महीने में बैठक हुई थी लेकिन इसके बाद से अब तक बसों के संचालन से जुड़ी चर्चा के लिए बैठक भी नहीं हुई है। इतना ही नहीं कई नए अधिकारी आ गए हैं, उन्हें बोर्ड की सदस्यता दिलाए जाने के लिए व्यक्तिगत डाक्यूमेंट भी लगाए जाते हैं, यह प्रक्रिया भी अभी पूरी नहीं हो पाई है।
– कई रूट अतिक्रमण के दायरे में
वर्तमान में जो 11 बसें चल रही हैं वह रेलवे स्टेशन से विश्वविद्यालय-सगरा एवं रेलवे स्टेशन से रायपुर कर्चुलियान के लिए चल रही हैं। अन्य बसें आएंगी तो उन्हें कई ऐसे रूट पर भी चलाया जाएगा जहां पर अतिक्रमण सड़क के दोनों ओर हैं, जिसकी वजह से यात्री प्रतीक्षालय बनाने में समस्या उत्पन्न होगी।