चाकघाट नगर के वार्ड क्रमांक 4 एवं 9 में स्थित तमसा नदी के तट पर बना हजारीलाल घाट अतिक्रमण की चपेट में आने से अपना अस्तित्व खो दिया है। इस घाट से होकर तमसा नदी तक जाने के लिए अब रास्ता बन्द हो चुका है। घाट पर बना उद्घाटन का शिलालेख अब भी दिख रहा है। नदी तक जाने वाली कंकरीट रास्ते एवं सिढिय़ों पर भारी गंदगी है और अतिक्रमण के चलते सीढिय़ां समाप्त हो गई हैं।
सीएमओ को सौंपा था ज्ञापन
नगर के लगभग दो सैकड़ा नागरिकों एवं कई पार्षदों के हस्ताक्षर से एक पत्र मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 30 मार्च को सौंपा गया था। जिसमें अतिक्रमण हटाने और गंदगी की सफाई कराने की मांग की गई थी। लेकिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष राजेश कुमार केसरवानी के कार्यकाल में 17 वर्ष पूर्व नगर पंचायत के कोष से लगभग साढ़े तीन लाख रुपए खर्च करके यह घाट बनवाया गया था। इस घाट पर गंदगी व्याप्त है लगता है कि एक लम्बे समय से सफाई नहीं हुई हैं।
नगर के लगभग दो सैकड़ा नागरिकों एवं कई पार्षदों के हस्ताक्षर से एक पत्र मुख्य नगर पालिका अधिकारी को 30 मार्च को सौंपा गया था। जिसमें अतिक्रमण हटाने और गंदगी की सफाई कराने की मांग की गई थी। लेकिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। नगर पंचायत के तत्कालीन अध्यक्ष राजेश कुमार केसरवानी के कार्यकाल में 17 वर्ष पूर्व नगर पंचायत के कोष से लगभग साढ़े तीन लाख रुपए खर्च करके यह घाट बनवाया गया था। इस घाट पर गंदगी व्याप्त है लगता है कि एक लम्बे समय से सफाई नहीं हुई हैं।
अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो आंदोलन
नगर परिषद के उपाध्यक्ष ठाकुर प्रसाद नामदेव, पार्षद उमाशंकर केसरवानी, जगनायक कुशवाहा, अजय केसरवानी, पूजा गुप्ता सहित कई पार्षदों एवं नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन से तत्काल नदी के घास से अतिक्रमण हटाए जाने की मांग की है। इन्होंने बताया कि इस समय नगर में सरकारी एवं सार्वजनिक संपत्ति को हड़पने एवं अतिक्रमण करने की मुहिम सी चल पड़ी है, जिस पर रोक लगाया जाना आवश्यक है।
नगर परिषद के उपाध्यक्ष ठाकुर प्रसाद नामदेव, पार्षद उमाशंकर केसरवानी, जगनायक कुशवाहा, अजय केसरवानी, पूजा गुप्ता सहित कई पार्षदों एवं नागरिकों ने स्थानीय प्रशासन से तत्काल नदी के घास से अतिक्रमण हटाए जाने की मांग की है। इन्होंने बताया कि इस समय नगर में सरकारी एवं सार्वजनिक संपत्ति को हड़पने एवं अतिक्रमण करने की मुहिम सी चल पड़ी है, जिस पर रोक लगाया जाना आवश्यक है।