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मुकुंदपुर चिडिय़ाघर के बारे में जानें, कितना हुआ निर्माण और कौन से हैं जानवर

 
चिडिय़ाघर में दर्जनभर बाड़ों का निर्माण नहीं हो पाने से जानवरों की शिफ्टिंग रुकी- शासन को कई प्रस्ताव भेजे गए, विशेष बजट का नहीं हो रहा है आवंटन

रीवाJun 20, 2022 / 10:21 am

Mrigendra Singh

मुकुंदपुर चिडिय़ाघर के बारे में जानें, कितना हुआ निर्माण और कौन से हैं जानवर



रीवा। महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव चिडिय़ाघर एवं ह्वाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर को सरकारी सहायता ठीक तरीके से उपलब्ध नहीं हो पाने की वजह से जानवरों के लिए बाड़ों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। बाड़ों के नहीं बनने से यहां पर जानवरों की शिफ्टिंग भी रुकी हुई है। इसके लिए चिडिय़ाघर प्रबंधन ने कई बार शासन का ध्यान आकृष्ट कराया है। मुकुंदपुर के भ्रमण में आने वाले जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को भी वस्तु स्थिति से अवगत कराया गया है वह आश्वासन हर बार देकर जाते हैं लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ रही है। चिडिय़ाघर में जानवरों के रखरखाव से लेकर परिसर के विकास से जुड़ी सारी गतिविधियां भी प्रबंधन को स्वयं की आय पर ही करना पड़ रहा है। प्रबंधन ने कई बार अपने आर्थिक हालातों के बारे में शासन को अवगत कराया है लेकिन वहां से अपेक्षा के अनुरूप सहयोग नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से बीते कुछ वर्षों से चिडिय़ाघर परिसर का विकास रुका हुआ है। चिडिय़ाघर में जानवरों को रखने के लिए बनाए जाने वाले बाड़ों की संख्या अब तक पूरी नहीं हो पाई है। जिसकी वजह से नए जानवर लाए जाने को लेकर अब तक प्रबंधन आगे कदम नहीं बढ़ा पा रहा है। यह मध्यप्रदेश में वन विभाग द्वारा संचालित इकलौता चिडिय़ाघर है, जिसे प्राकृतिक माहौल देते हुए निर्मित किया गया है। इस चिडिय़ाघर और ह्वाइट टाइगर सफारी परिसर से नदी, नाले निकलते हैं और जंगल में पुराने वृक्षों की पूरी श्रृंखला है। इस तरह से प्राकृतिक माहौल वाले देश में कुछ चिन्हित ही चिडिय़ाघर हैं, जहां पर जानवरों को जंगल जैसा वातावरण मिलता है। शुरुआत में सरकार ने इसके लिए काफी रुपए दिए और बराबर भोपाल एवं दिल्ली से अधिकारियों की निगरानी भी रही लेकिन जब तैयार हो गया और यहां खुद की आय होने लगी तो सरकार ने मदद से हाथ खींच लिए।
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कोरोना काल में बंद रहने से हुआ नुकसान
चिडिय़ाघर को आम दर्शकों के लिए कोरोना काल में लॉकडाउन के दिनों में दो बार लंबी अवधि के लिए बंद करना पड़ा था। जिसकी वजह से यहां पर पर्यटक नहीं आ रहे थे तो आय भी रुक गई थी। उन दिनों जानवरों के खुराक के साथ ही अन्य रखरखाव को लेकर जो राशि खर्च हो रही थी, उसकी भरपाई चिडिय़ाघर प्रबंधन के लिए मुश्किल हो रही थी। लॉकडाउन खुलने के कई महीने बाद तक पर्यटकों की संख्या काफी कम रही। इस साल की शुरुआत से पर्यटकों की संख्या बढ़ी है। जिससे अब धीरे-धीरे आय अपनी रफ्तार पकडऩे लगी है। विदेशी पर्यटकों की संख्या न के बराबर है। अब कई देशों की हवाई सेवाएं बहाल हुई हैं तो माना जा रहा है कि खजुराहो से वाराणसी और प्रयागराज जाने वाले पर्यटक यहां आएंगे। साथ ही जबलपुर एवं बांधवगढ़ से भी यहां पर्यटकों के आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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इन जानवरों के बाड़ों का निर्माण अब तक नहीं
मुकुंदपुर चिडिय़ाघर को कई तरह के जानवरों को रखने के लिए सेंट्रल जू अथारिटी आफ इंडिया की ओर से अनुमति मिल चुकी है। इन जानवरों के लिए बाड़े का निर्माण होने के बाद ही आने की राह खुलेगी। जानकारी के मुताबिक अभी तक हैज हॉग, परकुपाइन, वर्ड एवियरी, कामन लंगूर, रिसेस मकाक, बोनट मकाक, पिग टेल्ट मकाक, रेपटाइल हाउस, स्नेक हाउस, वटरफ्लाई पार्क आदि का निर्माण कराया जाना बाकी है। वाइल्ड डाग और लोमड़ी के बाड़ों का निर्माण चल रहा है। चिडिय़ाघर प्रबंधन ने अन्य बाड़ों के निर्माण के लिए शासन से कई बार मदद मांगी है। इसके बावजूद बड़ा पैकेज नहीं मिल पाया है। पूर्व में वन विभाग के बड़े अधिकारियों के भ्रमण के दौरान भी आश्वासन मिला था कि कैम्पस के विस्तार के लिए कार्ययोजना बनाकर भेजी जाए तो राशि उपलब्ध कराई जाएगी लेकिन अब तक उसका इंतजार किया जा रहा है।
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इन वन्यप्राणियों को लाया जाना शेष
चिडिय़ाघर प्रबंधन ने कुछ वन्यप्राणियों के लिए अपने बाड़े तैयार कर रखे हैं। दो वर्षों से कोरोना काल की वजह से इन्हें नहीं लाया जा सका है। देश के दूसरे कई चिडिय़ाघरों को पत्राचार कर वहां से जानवर मांगे गए हैं। इनदिनों मौसम में तेज गर्मी की वजह से कुछ जगह टीमें वन्यप्राणियों को लाए जाने के लिए भेजी जानी थी लेकिन तो रोक दी गई हैं। जिन प्रमुख वन्यप्राणियों को लाया जाना है उसमें भेडिय़ा, गौर, घडिय़ाल, कछुआ, लार्ज इंडियन सीवेट, स्माल इंडियन सीवेट, डेजर्ट कैट, जंगल कैट आदि को लाया जाना है।

इन जानवरों के लिए व्यवस्था
मुकुंदपुर में ह्वाइट टाइगर सफारी का बाड़ा सबसे पहले पूरा कराया गया था। यहां पर पूरा प्राकृतिक माहौल बाघों को दिया जाता है, जहां पर बांस, साल, सागौन, कैथा, कहुआ सहित अन्य जंगली प्रजाति के पेड़ हैं। साथ ही तालाब और छोटी बाउली भी बनाई गई, ताकि पानी भी पर्याप्त मिल सके। इसके साथ ही चिडिय़ाघर में बनाए जा चुके बाड़ों में रायल बंगाल टाइगर, ह्वाइट टाइगर, लायन, पेंथर, स्लाथ बियर, बारासिंघा, सांभर, ब्लैक बक, चिंकारा, चीतल, नीलगिरी, बार्किंग डियर, गौर, हॉग डियर, वाइल्ड बोर, थामिन डियर, स्माल इंडियन सीवेट, कामन प्लाम सीवेट, डेजर्ट कैट, जैकाल, हाइना, वोल्फ, क्रोकोडाइल, घडिय़ाल, कछुआ, ईमू आदि के बाड़े बनकर तैयार हैं, जिसमें अधिकांश में जानवर लाए भी जा चुके हैं।
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