कलेक्टर प्रतिभा पाल ने इस पूरे मामले पर कहा कि हर्दी के रहट गांव में जो अतिक्रमण हटाया गया था। वो सरकारी भूमि पर था और वह तालाब की भूमि है। तालाब के किनारे किसी भी पक्के निर्माण की अनुमति नहीं है। इसलिए उन निर्माण कार्यों को हटाया गया है। कुछ दिन बाद संज्ञान में आया कि उनमें से कुछ लोगों ने आवेदन दिया था। जो लोग पात्र हैं, उनको हम अन्यत्र बसाने की व्यवस्था करेंगे।
ग्रामीणों ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप
इधर गांववालों ने प्रशासन के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब जमीन गलत थी तो सरपंच और सचिव ने हमें पैसे क्यों दिए। उन पर कार्रवाई कब होगी। कितने मकान अवैध बने थे, क्या सारे ही मकान को तोड़ने के लिे कोर्ट ने आदेश दिया था।
10 घरों को मिला नोटिस तोड़े 23 मकान
ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि 10 घरों को नोटिस मिला था, लेकिन 23 मकानों को तोड़ दिया गया। जिन्हें नोटिस मिला था। उन्होंने अपने सामान घरों से निकाल लिए थे। जिन्हें नोटिस नहीं मिला उन्हें सामान निकालने का मौका भी नहीं दिया गया। कई लोग ऐसे हैं, जिनके माता-पिता नहीं हैं। मजदूरी करके दो वक्त की रोजी-रोटी का इंतजाम करते हैं।