इसमें संबंधित गांव से जुड़ी हर जानकारी की रिपोर्ट भी मांगी गई है ताकि इस बात का मूल्यांकन भी कराया जा सके कि कालेज द्वारा गांव को गोद लेने के बाद यहां पर किस तरह की गतिविधियां संचालित हुईं और गांव के विकास में सहयोगी बनी हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने कुछ दिन पहले ही वीडियो कांफ्रेंसिंग में कालेजों के प्राचार्यों को इस संबंध में निर्देशित किया था।
अब गोद ग्राम योजना से जुड़ी जानकारी की रिपोर्ट मांगी गई है। विभाग ने अपनी वेबसाइट पर प्राचार्यों के लिए एक लिंक जारी की है जिसमें यह पूछा गया है कि वह किस गांव को गोद लेना चाहते हैं। इन गांवों में कालेजों को जागरुकता के नियमित कार्यक्रम चलाने होंगे।
शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, नशामुक्ति, स्वच्छता सहित कई मुद्दों पर विशेष रूप से जागरुकता के अभियान चलाए जाएंगे। साथ ही समय-समय पर गांव में शासन की योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए शिविर लगाकर लाभान्वित किया जाएगा।
– गोद लेने से पहले देनी होगी यह जानकारी
उच्च शिक्षा विभाग ने कालेजों से गोद लेने वाले गांवों से जुड़ी जानकारी की प्रोफाइल मांगी है। जिसमें गोद लेने वाले गांव, तहसील एवं जिले का नाम बताना होगा। गांव की कालेज से दूरी, मकानों की संख्या, पंचायत भवन है या नहीं, सामुदायिक भवन, अस्पताल के साथ ही गांव में मौजूद स्कूलों का विवरण, गांव में महिला-पुरुषों के साथ कुल जनसंख्या, गांव में सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या, साक्षर एवं शिक्षित व्यक्तियों की जानकारी भी मांगी गई है, जिसमें संबंधित गांव में प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल, हायर सेकंडरी, उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों की अलग संख्या बतानी होगी। गांव की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति की भी जानकारी देनी होगी।
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विश्वविद्यालय दो गांव पहले से ले चुका है गोद
शैक्षणिक संस्थानों द्वारा गांवों को गोद लेने की योजना पहले से ही है। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय ने सोनौरा और इटौरा गांव को पहले से गोद ले रखा है। यहां पर विश्वविद्यालय द्वारा गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं। हालांकि गांवों के लोगों का कहना है कि गोद ग्राम लेने के बाद कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। समय-समय पर विश्वविद्यालय के अधिकारी आते हैं और कार्यक्रम करके चले जाते हैं। वहीं राजभवन के निर्देशानुसार दो और गांवों का चयन विश्वविद्यालय की ओर से किया गया है।
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गांवों को गोद लेने के संबंध में निर्देश मिला है लेकिन अभी इसकी विस्तृत कार्ययोजना आना शेष है। गोद लेने के बाद किस तरह से कार्य किए जाने हैं, यह शासन स्तर पर निर्धारित होगा। फिलहाल गांवों का चयन करने का कार्य चल रहा है।
डॉ. पंकज श्रीवास्तव, अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा
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