एमडी की हिदायत का अभी असर नहीं
अभी हाल में दौरे पर आए मप्र. मंडी बोर्ड में एमडी फैज अहमद किदवई ने मंडी के सभी स्थानीय अधिकारियों को इस बात की हिदायत दी है कि किसानों के साथ व्यापारियों की सांठगांठ नहीं चले। मनमानी करने वाले व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन अधिकारी हैं कि मूंदउ आंख कहऊं कछु नाही की तर्ज पर चल रहे हैं। नतीजा किसानों के उपज खरीदी में व्यापारियों की मनमानी पहले की तरह चल रही है।
अभी हाल में दौरे पर आए मप्र. मंडी बोर्ड में एमडी फैज अहमद किदवई ने मंडी के सभी स्थानीय अधिकारियों को इस बात की हिदायत दी है कि किसानों के साथ व्यापारियों की सांठगांठ नहीं चले। मनमानी करने वाले व्यापारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। लेकिन अधिकारी हैं कि मूंदउ आंख कहऊं कछु नाही की तर्ज पर चल रहे हैं। नतीजा किसानों के उपज खरीदी में व्यापारियों की मनमानी पहले की तरह चल रही है।
तौल में कम बता दिया खरीदा गया गेहूं
व्यापारियों के धोखाधड़ी का शिकार बनने वाले बैकुंठपुर के राजकुमार ने बैकुंठपुर मंडी क्षेत्र के व्यापारी को पिछले वर्ष दिसंबर में गेहूं बेचा है। किसान राजकुमार के मुताबिक घर से तौल के बाद वह 8.50 क्विंटल गेहूं लेकर व्यापारी के पास पहुंचे और 1400 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया। लेकिन जब भाव तय करने के बाद गेहूं का व्यापारी ने तौल किया तो वह केवल 7.50 क्विंटल निकला। इतना ही नहीं बाद में गेहूं में खामी बताकर कीमत भी 1400 रुपए के बजाए एक हजार रुपए प्रति क्विंटल ही दिया गया। इस मामले की शिकायत किसान ने कृषि उपज मंडी बैकुंठपुर में की। शिकायत पर जांच भी कराई गई। लेकिन जांच के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि जांच में सत्यता पाए जाने की बात बताई जा रही है।
व्यापारियों के धोखाधड़ी का शिकार बनने वाले बैकुंठपुर के राजकुमार ने बैकुंठपुर मंडी क्षेत्र के व्यापारी को पिछले वर्ष दिसंबर में गेहूं बेचा है। किसान राजकुमार के मुताबिक घर से तौल के बाद वह 8.50 क्विंटल गेहूं लेकर व्यापारी के पास पहुंचे और 1400 रुपए प्रति क्विंटल का भाव तय किया। लेकिन जब भाव तय करने के बाद गेहूं का व्यापारी ने तौल किया तो वह केवल 7.50 क्विंटल निकला। इतना ही नहीं बाद में गेहूं में खामी बताकर कीमत भी 1400 रुपए के बजाए एक हजार रुपए प्रति क्विंटल ही दिया गया। इस मामले की शिकायत किसान ने कृषि उपज मंडी बैकुंठपुर में की। शिकायत पर जांच भी कराई गई। लेकिन जांच के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जबकि जांच में सत्यता पाए जाने की बात बताई जा रही है।
बोली में लगाते हैं मनमानी कीमत
खरीफ में भावांतर योजना के तहत उपज की खरीदी के दौरान व्यापारियों द्वारा सांठगांठ की बात सामने आई थी। मामले की शिकायत कलेक्टर तक पहुंची। कलेक्टर ने निरीक्षण कर मंडी अधिकारियों को निर्देशित किया था कि व्यापारियों को पहले चेतावनी दें। उसके बाद भी वह अपनी करतूत से बाज नहीं आते हैं तो उनके लाइसेंस को निरस्त करने की कार्रवाई की जाए। लेकिन अभी तक एक भी व्यापारी का लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सका है। जबकि किसानों से उपज खरीदी में व्यापारियों की मिलीभगत जारी है।
खरीफ में भावांतर योजना के तहत उपज की खरीदी के दौरान व्यापारियों द्वारा सांठगांठ की बात सामने आई थी। मामले की शिकायत कलेक्टर तक पहुंची। कलेक्टर ने निरीक्षण कर मंडी अधिकारियों को निर्देशित किया था कि व्यापारियों को पहले चेतावनी दें। उसके बाद भी वह अपनी करतूत से बाज नहीं आते हैं तो उनके लाइसेंस को निरस्त करने की कार्रवाई की जाए। लेकिन अभी तक एक भी व्यापारी का लाइसेंस निरस्त नहीं किया जा सका है। जबकि किसानों से उपज खरीदी में व्यापारियों की मिलीभगत जारी है।
उपज की बोली में ऐसे होती है मिलीभगत
मंडी में व्यापारी आपस में ही पहले यह तय कर लेते हैं कि किस किसान की उपज कौन खरीदेगा। आपस में सांठगांठ के बाद सभी व्यापारी उपज की ढेर के पास बोली लगाने पहुंचते तो हैं। लेकिन पहली या फिर अधिक दूसरी बोली के बाद कीमत बढ़ाने के लिए कोई व्यापारी तैयार नहीं होता है। नतीजा पहले से तय व्यापारी को कम कीमत में ही उपज प्राप्त हो जाती है। मंडी अधिकारियों की इस सब मामले में चुप्पी व्यापारियों से मिली भगत का नतीजा होती है।
मंडी में व्यापारी आपस में ही पहले यह तय कर लेते हैं कि किस किसान की उपज कौन खरीदेगा। आपस में सांठगांठ के बाद सभी व्यापारी उपज की ढेर के पास बोली लगाने पहुंचते तो हैं। लेकिन पहली या फिर अधिक दूसरी बोली के बाद कीमत बढ़ाने के लिए कोई व्यापारी तैयार नहीं होता है। नतीजा पहले से तय व्यापारी को कम कीमत में ही उपज प्राप्त हो जाती है। मंडी अधिकारियों की इस सब मामले में चुप्पी व्यापारियों से मिली भगत का नतीजा होती है।