रीवा

बड़ी बिल्डिंग और बारातघरों को फायर एनओसी नहीं दे पाएगा निगम

नगरीय प्रशासन विभाग ने नए नियमों का हवाला देते हुए मंगाए एनओसी के प्रकरण आधा दर्जन से अधिक मामले जाएंगे भोपाल

रीवाApr 02, 2018 / 06:32 pm

Mrigendra Singh

nagr nigam

रीवा. शहर में बन रही बड़ी बिल्डिंग और बारात घरों को दी जा रही फायर एनओसी अब अपनी मर्जी के अनुसार नगर निगम नहीं दे पाएगा। शासन से निर्धारित प्रक्रिया के तहत अब नगरीय प्रशासन विभाग एनओसी जारी करेगा। अब तक नगर निगम सामान्य प्रक्रिया के तहत ही धड़ल्ले के साथ एनओसी देता रहा है। इसका सहारा लेकर कई बड़ी बिल्डिंग को भी पूर्णता प्रमाण पत्र दिए जाते रहे हैं। हाल के दिनों में प्रदेश के दूसरे हिस्सों में नगर निगमों से मनमानी रूप से एनओसी जारी करने का मामला पकड़ में आया है। इसके चलते नगरीय प्रशासन विभाग ने रीवा सहित अन्य निकायों को आदेश जारी कर बड़े भवनों और बारातघरों में फायर एनओसी देने का मामला रोकते हुए कहा हैकि जो भी प्रक्रियाएं होंगी वह नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा गठित राज्य स्तरीय कमेटी की देखरेख में होंगी।
नियमों में किया गया संशोधन
अब तक नेशनल बिल्डिंग कोड 2005 के प्रावधानों के तहत नगर निगम फायर एनओसी जारी करता रहा है। अब नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के भाग-4 के तहत फायर एनओसी जारी करने के लिए नगरीय प्रशासन विभाग ने राज्य स्तर पर एक कमेटी का गठन किया है। जो बड़ी इमारतों के लिए फायर एनओसी जारी करेगा। इसमें कुछ शर्तें निर्धारित की गईहैं, जिनके अनुसार नगर निगम छोटे व्यवसायिक भवनों को एनओसी जारी करेगा।
पहले भी बदलते रहे हैं नियम
भवनों को आग से बचाने के लिए उपकरणों की मौजूदगी के बाद फायर एनओसी देने की प्रक्रिया पुरानी है। बताया गया है कि सबसे पहले नेशनल बिल्डिंग कोड 1970 में बनाया गया था और बाद में 198 3 और 198 7 में संशोधन किया गया। तीसरा संस्करण कोड, 2005 है। इसके तहत आग और जीवन सुरक्षा से संबंधित कुछ नियम तय किए गए हैं जो डेवलपर्स को पालन करना है। बिल्डिंग के बढ़ते आकार और समय की मांग के अनुसार नियमों में संशोधन होते रहे हैं।
15 मीटर से ऊंचे भवनों में फायर सेफ्टी आडिट जरूरी
शहरों में तेजी के साथ आकार ले रही बड़ी बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए सरकार ने कईअन्य प्रावधान भी किए हैं। जिसके तहत 15 मीटर या उससे ज्यादा ऊंचे भवनों का फायर और सेफ्टी ऑडिट कराना जरूरी है। नगरीय प्रशासन और विकास विभाग ने कुछ समय पहले ही सर्कुलर जारी किया है, इसके मुताबिक शहरी क्षेत्र की ऊंची इमारतों, अस्पतालों और होटलों में आग की घटनाएं ज्यादा होती हैं। नेशनल बिल्डिंग कोड 2016 के भाग 4 के अनुसार इन्हें रोकने के लिए प्रभावी अग्नि सुरक्षा उपायों की जरूरत है। इसीलिए फायर सेफ्टी एंड ऑडिट अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही बड़े भवनों में फायर ड्रिल एवं फायर फाइटिंग सिस्टम सुधारने के लिए भी कहा है।
कई बड़ी बिल्डिंग में लग चुकी है आग
शहर में हर साल किसी न किसी बड़ी बिल्डिंग में आग लग जाती है, जिसमें लाखों का नुकसान भी होता है। आग से सुरक्षा के उपायों के लिए निर्धारित किए गए मानकों का पालन नहीं किए जाने के चलते नगर निगम कोई सख्ती नहीं बरत रहा है। इसकी वजह से एहतियात के कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। बीते साल ही बरा मोहल्ले में बाइक शो-रूम में आग भड़की थी, जिसमें करोड़ों का नुकसान हुआ था। इसी तरह रमागोविंद पैलेस और शिल्पी प्लाजा में भी कईआंशिक रूप से आगजनी होती रही है। शिल्पी प्लाजा में तो शिक्षा विभाग के दफ्तर में आग लगने की वजह से कईमहत्वपूर्णदस्तावेज भी जल गए थे।
बारातघरों में चल रही खुलेआम अनदेखी
बारातघरों में आए दिन होने वाले उत्सवों की वजह से हजारों की संख्या में लोग एक साथ मौजूद रहते हैं। कुछ चिन्हित बारातघरों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश में आग से सुरक्षा के कोईइंतजाम नहीं किए गए हैं। इस लापरवाही के चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। शहर के बारातघरों को लेकर हाइकोर्ट का भी एक निर्देश आया था कि सुरक्षा इंतजामों के बिना संचालित हो रहे बारातघरों को बंद कराया जाए। इतना ही नहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्डने भी कई पत्र हाल के दिनों में निगम को लिखा है कि अवैधानिक रूप से संचालित हो रहे बारातघरों को बंद कराया जाए।

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