ब्रिटेन से खरीदे थे
भारतीय नौसेना ने ये लड़ाकू विमान 1983 में ब्रिटेन से खरीदे थे। नौसेना में आने के बाद ये पहले विमान वाहक पोत विक्रांत और उसके बाद विराट में तैनात हो गए। विमानवाहक पोत से ही ये भारत की लंबी समुद्री सरहद की हिफाजत करते रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी खासियत वर्टिकल लैंडिंग करने की रही है। कम रनवे पर ये आसानी से टेक ऑफ भी कर लेता रहा है यानी इसे उतारने के लिए किसी हवाई पट्टी की जरूरत नहीं पड़ती थी। इसमें आसमान में ही ईंधन भरने की क्षमता भी रही है। ब्रिटेन में तो 2006 में ही ये विमान रिटायर हो गए थे, लेकिन भारत में अपग्रेड कर इसे उड़ाया जाता रहा। हालांकि 2016 में छह मार्च को आखिरी उड़ान भरने के बाद इसे सेवा से मुक्त कर दिया गया। वर्तमान में सी-हैरियर की जगह मिग-29 की सेवाएं ली जा रही हैं।
पूर्व मंत्री ने रीवा लाने की उठाई थी मांग
कुछ समय पहले ही सी-हैरियर (C-Harrier) को देखने के लिए पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह भारतीय नौ सेना के एडमिरल वेस्टर्न कमांडिंग इन चीफ देवेंद्र त्रिपाठी के बुलावे पर गोवा गए थे। नौ सेना के स्क्वाड्रन वाइट टाइगर में शामिल रहे सी-हैरियर (C-Harrier) के बारे में बताया गया कि इसमें सफेद बाघ का जो लोगो लगा हुआ है वह रीवा से गए सफेद बाघ के स्मृति चिह्न के रूप में है। इस पर पूर्व मंत्री ने उक्त विमान को रीवा के सैनिक स्कूल में स्थापित कराने की मांग उठाई थी। बुधवार को रीवा पहुंचे विमान (C-Harrier) को देखने पहुंचे सिंह ने बताया कि सेना के अधिकांश युद्धपोत और विमान किसी ने किसी पशु-पक्षी के नाम पर हैं। इसी में सफेद बाघ का लोगो भी लगाया गया था। रीवा सहित पूरे प्रदेश के लिए यह गौरव की बात है।