कांस्टेबल सरोज आत्महत्या मामला : दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश
रीवा. भ्रष्टाचार के मामले में ड्रग इंस्पेक्टर, लिपिक और भृत्य को न्यायालय द्वारा सश्रम कारावास एवं जुर्माने की सजा सुनाई गई है। ड्रग इंस्पेक्टर ने मेडिकल एजेंसी को ड्रग लायसेंस देने के लिए १० हजार रुपए की रिश्वत ली थी। प्रकरण के संबंध में बताया गया है कि नारायण प्रसाद मिश्रा नेहरू नगर रीवा में मेडिकल एजेंसी खोलने के लिए ड्रग लायसेंस के लिए उपसंचालक खाद्य एवं औषधि प्रशासन कार्यालय में आवेदन दिया था। जहां शिकायतकर्ता की मुलाकात भृत्य मोहनलाल ने ड्रग इंस्पेक्टर मुकेश कुमार हेडाऊ से कराई। जिसपर ड्रग इंस्पेक्टर ने आवेदक को लिपिक एआर खान से मिलने के लिए कहा। जहां पर लिपिक एवं भृत्य ने लायसेंस के लिए आवेदक से 15 हजार रुपए की रिश्वत मांगी। 10 हजार रुपए पहले एवं 5 हजार रुपए काम होने के बाद देेने के लिए कहा। इसकी शिकायत मिश्रा ने एसपी लोकायुक्त से की। जिसपर उन्होंने शिकायत की जांच कराने के बाद ट्रैप दल का गठन किया। ड्रग इंस्पेक्टर ने 7 मार्च 2013 को शिकायतकर्ता के नेहरू नगर स्थित दुकान में मुलाकात की, जहां 10 हजार रुपए का लिफाफा दिया गया। जिसे उन्होंने चार पहिया गाड़ी में रख लिया। जैसे ही ट्रैप दल आगे बढ़ा तो ड्रग इंस्पेक्टर वहां से भाग खड़ा हुआ। लेकिन लोकायुक्त की टीम ने आरोपी को पीछा कर गल्लामंडी के पास पकड़ लिया और रिश्वत के रुपए जब्त कर लिए। न्यायालय में विचारण के दौरान सहायक जिला लोक अभियोजक द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों एवं तर्कों को सुनने के बाद आरोपियों को दोषी माना गया। जिसपर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत ड्रग निरीक्षक मुकेश कुमार हेडाऊ को 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2 हजार रुपए जुर्माना तथा धारा 13 के अंतर्गत 4 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2 हजार रुपए जुर्माना और लिपिक एआर खान को व मोहनलाल को भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 7/12 के तहत ३ वर्ष का कारावास एवं २ हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया गया है।