जिले के अंतर्गत आने वाले लौर थाना इलाके में स्थित शिव मंदिर देवतालाब में ये हादसा हुआ है। यहां हाईटेंशन लाइन का तार टूट कर श्रद्धालुओं के ऊपर गिरा है। जिस समय ये तार टूटा उसमें करंट दौड़ रहा था, जिसकी चपेट में आने से 20 से ज्यादा श्रद्धालु घायल हुए हैं, जिनमें से 15 श्रद्धालुओं की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटना के बाद पुलिस और प्रशासन की अलग-अलग टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। आपको बता दें कि, ये इलाका मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम का गृह क्षेत्र में आता है।
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हादसे के बाद मंदिर परिसर में मची भगदड़
बताया जा रहा है कि जिस समय हादसा हुआ, मंदिर में तीन हजार से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे थे। हादसे के बाद मंदिर परिसर में भगदड़ मच गई थी, जिसमें भी कई श्रद्धालुओं को चोटें आई हैं। घायलों को रीवा के संजय गांधी अस्पताल ले जाया गया है। यहां अस्पताल प्रबंधन श्रद्धालुओं को उपचार में जुट गया है। अस्पताल प्रबंधन की ओर से तत्काल सतर्कता दिखाते हुए अस्पताल गेट से स्ट्रेचर और वॉर्डबॉय की मदद से तुरंत ही सभी घायलों को अस्पताल में लेकर उपचार शुरु कर दिया है।
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एक रात में हुआ था मंदिर का निर्माण- मान्यता
देवतालाब में स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर में सावन माह में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है। लाखों लोग मंदिर में दूरदराज से आकर भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं। देवतालाब मंदिर की ऐसी मान्यता है कि, इस मंदिर का निर्माण एक रात में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि, सुबह जब लोगों ने देखा तो यहां पर विशाल मंदिर बना हुआ मिला था, लेकिन किसी ने ये नहीं देखा कि मंदिर का निर्माण कैसे हुआ। पूर्वजों के बताए अनुसार, मंदिर के साथ ही यहां पर अलौकिक शिवलिंग की भी उत्पत्ति हुई थी। ये शिवलिंग भी रहस्यमयी है।
यह है किदवंती
एक किदवंती है कि, शिव के परम भक्त महर्षि मार्कण्डेय देवतालाब स्थित शिव के दर्शन के हठ में आराधना में लीन थे। महर्षि को दर्शन देने के लिए भगवान यहां पर मंदिर बनाने के लिए विश्वकर्मा भगवान को आदेशित किया। उसके बाद रातों रात यहां विशाल मंदिर का निर्माण हुआ और शिवलिंग की स्थापना हुई। कहते है कि, एक ही पत्थर पर बना हुआ अदभुत मंदिर सिर्फ देवतालाब में स्थित है।
मंदिर के नीचे चमत्कारिक मणि
एक मान्यता ये भी है कि, इस मंदिर के नीचे शिव का एक दूसरा मंदिर भी है और इसमें चमत्कारिक मणि मौजूद है। कई वर्षों पहले मंदिर के तहखाने से लगातार सांप बिच्छुओं के निकलने की वजह से मंदिर का दरवाजा बंद कर दिया गया है। मंदिर के ठीक सामने एक गढ़ी मौजूद थी। किवदंती है कि, इस मंदिर को गिराने की जैसे ही राजा ने योजना बनाई उसी वक्त पूरा राजवंश जमीन में दबकर नष्ट हो गया। इस शिवलिंग के अलावा रीवा रियासत के महाराजा ने यही पर चार अन्य मंदिरों का निर्माण कराया है। ऐसा माना जाता कि, देवतालाब के दर्शन से चारोधाम की यात्रा पूरी होती है। इस मंदिर से भक्तों की आस्था जुड़ी हुई। इसीलिए यहां प्रति वर्ष तीन मेले लगते है और इसी आस्था से प्रति माह हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।