बांध के बढ़े जलस्तर एवं अन्य विशेष परिस्थितियों में नौका विहार रोका भी जा सकेगा। जलसंसाधन विभाग द्वारा वर्ष 2016 में बाणसागर के डूब प्रभावित क्षेत्र में स्थित सरसी और पहाडिय़ा नाम के दो टापुओं पर पर्यटन गतिविधियां संचालित करने की अनापत्ति दी थी। पूर्व की अनापत्ति को निरस्त करते हुए नई शर्तों के अनुसार पर्यटन गतिविधि संचालित करने की अनुमति दी गई है। इस आशय का शासन का पत्र गंगा कछार के मुख्य अभियंता के साथ रीवा एवं शहडोल के कलेक्टरों को भी भेजा गया है।
– क्रूज चलाने की है तैयारी
बाणसागर बांध में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए क्रूज चलाने की तैयारी है। बांध में जलभराव का बड़ा हिस्सा है, यहां पर पर्यटक दूर-दूर से आते हैं लेकिन अभी केवल बांध को देखकर लौट जाते हैं। पर्यटन विभाग को गतिविधियां संचालित करने की अनुमति के बाद यहां लोगों की सुविधा के लिए नौका विहार का अवसर मिलेगा। पूर्व में प्रदेश सरकार से जुड़े कई जिम्मेदारों की ओर से भी कहा जा चुका है कि बाणसागर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्रूज चलाए जाएंगे।
बाणसागर बांध में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए क्रूज चलाने की तैयारी है। बांध में जलभराव का बड़ा हिस्सा है, यहां पर पर्यटक दूर-दूर से आते हैं लेकिन अभी केवल बांध को देखकर लौट जाते हैं। पर्यटन विभाग को गतिविधियां संचालित करने की अनुमति के बाद यहां लोगों की सुविधा के लिए नौका विहार का अवसर मिलेगा। पूर्व में प्रदेश सरकार से जुड़े कई जिम्मेदारों की ओर से भी कहा जा चुका है कि बाणसागर में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए क्रूज चलाए जाएंगे।
– दो टापू में 194 हेक्टेयर क्षेत्रफल खाली
बाणसागर बांध के बीच में कई टापू हैं इसमें कुछ बहुत कम स्थान वाले हैं। वहीं दो बड़े टापू हंै। जिसमें सरसी 84.580 हेक्टेयर और पहाडिय़ा टापू 110.080 हेक्टेयर क्षेत्रफल के हैं। पहले जलसंसाधन विभाग ने पूरे क्षेत्र में पर्यटन की अनुमति दे दी थी। लेकिन अब इसके कुछ हिस्से में कटौती की गई है क्योंकि जलभराव के दिनों में टापू का बड़ा हिस्सा डूब में भी आ जाता है। जलसंसाधन विभाग ने सरसी के 35 और पहाडिय़ा टापू के 45 हेक्टेयर क्षेत्र में पर्यटन गतिविधि की अनुमति दी है।
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– 11 बिन्दुओं की शर्तों का करना होगा पालन
पर्यटन विभाग को टापुओं के सौंपने की अनुमति के साथ ही जलसंसाधन विभाग ने 11 बिन्दुओं की शर्तें भी रखी हैं। जिसमें प्रमुख रूप से कहा गया है कि बांध की निर्मित संरचनाओं को किसी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचाई जा सकती। पर्यटकों के साथ होने वाली किसी दुर्घटना की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की होगी। बांध के दो-दो किलोमीटर अप-डाउन स्ट्रीम का क्षेत्र पूर्णरूप से प्रतिबंधित होगा, यहां पर कोई गतिविधि संचालित नहीं होगी। बांध में रात्रि के समय बोटिंग प्रतिबंधित रहेगी। मानसून के दौरान बांध के पानी में होने वाले उतार-चढ़ाव के चलते पर्यटन गतिविधियां नहीं होंगी। बांध की सुरक्षा से जुड़े सभी मानकों का पालन करने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण शर्तें रखी गई हैं।
बाणसागर बांध के बीच में कई टापू हैं इसमें कुछ बहुत कम स्थान वाले हैं। वहीं दो बड़े टापू हंै। जिसमें सरसी 84.580 हेक्टेयर और पहाडिय़ा टापू 110.080 हेक्टेयर क्षेत्रफल के हैं। पहले जलसंसाधन विभाग ने पूरे क्षेत्र में पर्यटन की अनुमति दे दी थी। लेकिन अब इसके कुछ हिस्से में कटौती की गई है क्योंकि जलभराव के दिनों में टापू का बड़ा हिस्सा डूब में भी आ जाता है। जलसंसाधन विभाग ने सरसी के 35 और पहाडिय़ा टापू के 45 हेक्टेयर क्षेत्र में पर्यटन गतिविधि की अनुमति दी है।
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– 11 बिन्दुओं की शर्तों का करना होगा पालन
पर्यटन विभाग को टापुओं के सौंपने की अनुमति के साथ ही जलसंसाधन विभाग ने 11 बिन्दुओं की शर्तें भी रखी हैं। जिसमें प्रमुख रूप से कहा गया है कि बांध की निर्मित संरचनाओं को किसी प्रकार से क्षति नहीं पहुंचाई जा सकती। पर्यटकों के साथ होने वाली किसी दुर्घटना की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग की होगी। बांध के दो-दो किलोमीटर अप-डाउन स्ट्रीम का क्षेत्र पूर्णरूप से प्रतिबंधित होगा, यहां पर कोई गतिविधि संचालित नहीं होगी। बांध में रात्रि के समय बोटिंग प्रतिबंधित रहेगी। मानसून के दौरान बांध के पानी में होने वाले उतार-चढ़ाव के चलते पर्यटन गतिविधियां नहीं होंगी। बांध की सुरक्षा से जुड़े सभी मानकों का पालन करने सहित अन्य कई महत्वपूर्ण शर्तें रखी गई हैं।