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बाणसागर बांध के पानी में मध्यप्रदेश का आधा और शेष हिस्से में उत्तर प्रदेश और बिहार का अधिकार होता है। तीन राज्यों की यह संयुक्त बहुउद्देश्यीय परियोजना है। इसलिए बांध का पूरा भरना जरूरी होता, अन्यथा पर्याप्त मात्रा में विंध्य के जिलों को सिंचाई के लिए पानी मिल पाना मुश्किल हो सकता है। जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश में इस साल जुलाई में ही अपने हिस्से का पानी आंशिक तौर पर मांग लिया था। उत्तर प्रदेश की ओर जाने वाली नहर में कई दिनों तक पानी भेजा गया है। उत्तर प्रदेश में अभी इसके पानी से बहुत कम क्षेत्र में सिंचाई हो पाता है, शेष हिस्सा नदी में बह जाता है। धान की रोपाई की वजह से पानी की मांग की गई थी।
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पर्याप्त बारिश नहीं होने से पानी की पड़ी जरूरत
रीवा एवं सीधी जिले में पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से किसानों ने बाणसागर बांध का पानी छोड़े जाने की मांग उठाई थी। जिसमें सीधी के किसानों ने कहा था कि उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिल पाती इसलिए सिहावल नहर में पानी छोड़ा जाए। किसानों की मांग पर धान का रोपा लगाने के लिए पानी छोड़ा गया है। पानी छोड़े जाने के चलते बांध का जलस्तर कम भी होता रहा है। हालांकि रीवा जिले में अभी उस तरह की समस्या नहीं है।
तारीख- जलस्तर
एक जुलाई- 333.97
पांच जुलाई – 333.91
10 जुलाई – 333.86
15 जुलाई – 333.71
20 जुलाई– 333.40
25 जुलाई- 333.88
30 जुलाई- 334.77
2020– 338.87
2019– 335.70
2018– 334.80
2017– 337.16
2016-336.62
2015- 336.50
नोट- उक्त जलस्तर मीटर में है।