करीब 46 घंटे चले मयंक को बचाने का रेस्क्यू ऑपरेशन दोपहर 12.30 बजे पूरा हुआ। लेकिन दुख की खबर ये सामने आई है कि तमाम कोशिशों के बावजूद नन्हे मयंक को नहीं बचाया जा सका। एनडीआरएफ समेत प्रशासन की कई रेस्क्यू टीमों की अथक मेहनत के बावजूद मयंक की जान जा चुकी है। मयंक की मौत की पुष्टि होते ही रेस्क्यू टीम के साथ साथ मयंक के परिवार समेत पूरे गांव में मातम सा छा गया है। मौके पर मौजूद मेडिकल दल के सदस्यों की मानें तो मयंक की मौत संभवत रात में हो गई होगी। हालांकि, इसकी स्पष्ट जानकारी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही पता चल सकेगी।
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दरअसल, रीवा जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर जनेह थाना इलाके के मनिका गांव में रहने वाले विजय कुमार आदिवासी का 6 साल का बेटा मयंक आदिवासी शुक्रवार शाम 4 बजे अपने घर के पास खेत में दोस्तों के साथ खेल रहा था। इसी दौरान मयंक अचानक 70 फीट गहरे बोरवेल के गड्ढे में जा गिरा था। परिजन ने तत्काल घटना की जानकारी पुलिस को दी। घटना की सूचना मिलते ही त्योंथर एसडीम संजय जैन तत्काल रेस्क्यू दल एवं पुलिस बल के साथ घटना स्तर पर पहुंचे और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। करीब 36 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद आखिर कार मासूम मयंक को बोरवेल से बाहर निकाल लिया गया, लेकिन तबतक उसकी जान जा चुकी थी।