इसके अलावा सनातन धर्म के अनुसार बरगद के पेड़ में त्रिदेवों का वास होता है। बरगद की जड़ में ब्रह्माजी, तने में विष्णुजी और शाखाओं में शिवजी का वास माना जाता है। इसके अलावा वट वृक्ष सनातन धर्म में पवित्र, लंबे समय ता जीवंत रहने वाला होता है। दीर्घ आयु, शक्ति और इस वृक्ष के धार्मिक महत्व के चलते ही वट सावित्री व्रत के दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है। इसके अलावा इसी दिन दर्श अमावस्या भी है। जो इस तिथि को खास बना रहा है।
वट सावित्री व्रत के दिन बन रहे ये शुभ योग
वट सावित्री व्रत यानी ज्येष्ठ अमावस्या के दिन साल 2023 में कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस तिथि पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है, 18 मई शाम 7.37 बजे से शुरू होकर यह योग 19 मई को शाम 6.17 बजे तक रहेगा। इसके अलावा ज्येष्ठ अमावस्या के दिन चंद्रमा, गुरु के साथ मेष राशि में विराजमान रहेंगे। इसलिए चंद्रमा और गुरु के मेल से वट सावित्री व्रत के दिन अति शुभ गजकेसरी योग बन रहा है। वहीं इस दिन शनि जयंती है, शुक्रवार वट सावित्री व्रत के दिन कुंभ राशि में शनि विराजमान होकर शश योग भी बनाएंगे। इन विशेष योगों में पूजा पाठ के शुभ प्रभाव जातकों पर पड़ेंगे।
वट सावित्री व्रत यानी ज्येष्ठ अमावस्या के दिन साल 2023 में कई शुभ योग भी बन रहे हैं। इस तिथि पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है, 18 मई शाम 7.37 बजे से शुरू होकर यह योग 19 मई को शाम 6.17 बजे तक रहेगा। इसके अलावा ज्येष्ठ अमावस्या के दिन चंद्रमा, गुरु के साथ मेष राशि में विराजमान रहेंगे। इसलिए चंद्रमा और गुरु के मेल से वट सावित्री व्रत के दिन अति शुभ गजकेसरी योग बन रहा है। वहीं इस दिन शनि जयंती है, शुक्रवार वट सावित्री व्रत के दिन कुंभ राशि में शनि विराजमान होकर शश योग भी बनाएंगे। इन विशेष योगों में पूजा पाठ के शुभ प्रभाव जातकों पर पड़ेंगे।
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वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत यानी ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई रात 9.42 बजे हो रही है, इसका समापन 19 मई रात 9.22 बजे होगा। हालांकि यह व्रत उदयातिथि में 19 मई को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं उपवास रखकर वट वृक्ष की पूजा करेंगी।
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त
दृक पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत यानी ज्येष्ठ अमावस्या तिथि की शुरुआत 18 मई रात 9.42 बजे हो रही है, इसका समापन 19 मई रात 9.22 बजे होगा। हालांकि यह व्रत उदयातिथि में 19 मई को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं उपवास रखकर वट वृक्ष की पूजा करेंगी।
आसान वट सावित्री व्रत पूजा विधि (Vat Savitri Vrat Puja Vidhi)
1. ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पड़ रहे वट सावित्री व्रत के दिन 19 मई को शुभ योग में बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और यमराज की प्रतिमा की स्थापना करें।
2. इसके बाद व्रतधारी महिलाएं वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। बाद में फूल-धूप, मिठाई से पूजा करें।
3. वट सावित्री व्रत में 7 या 11 बार वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए और इस दौरान बरगद के पेड़ के चारों तरफ कच्चा सूत लपेटते जाना चाहिए।
1. ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पड़ रहे वट सावित्री व्रत के दिन 19 मई को शुभ योग में बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री और यमराज की प्रतिमा की स्थापना करें।
2. इसके बाद व्रतधारी महिलाएं वट वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। बाद में फूल-धूप, मिठाई से पूजा करें।
3. वट सावित्री व्रत में 7 या 11 बार वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए और इस दौरान बरगद के पेड़ के चारों तरफ कच्चा सूत लपेटते जाना चाहिए।
4. वट सावित्री व्रत के दिन पूजा के समय हाथ में भीगा चना लेकर सत्यवान सावित्री की कथा भी सुननी चाहिए।
5. पूजा के बाद भीगा चना, वस्त्र, दक्षिणा सास को देकर पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
6. आखिर में वट वृक्ष की कोपल खाकर उपवास खोलें।
वट सावित्री व्रत के दिन ये काम जरूर करें
1. प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन व्रतधारी महिलाओं को बरगद का पौधा जरूर लगाना चाहिए, इससे परिवार में आर्थिक परेशानी नहीं आती है।
2. इसके अलावा निर्धन सौभाग्यवती महिला को सुहाग की सामग्री दान करनी चाहिए, इससे शुभ फल मिलता है।
3. वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की जड़ को पीले कपड़े में लपेट लें और इसे अपने पास रखें, ऐसा करने से घर में शुभता का वास रहेगा।
1. प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन व्रतधारी महिलाओं को बरगद का पौधा जरूर लगाना चाहिए, इससे परिवार में आर्थिक परेशानी नहीं आती है।
2. इसके अलावा निर्धन सौभाग्यवती महिला को सुहाग की सामग्री दान करनी चाहिए, इससे शुभ फल मिलता है।
3. वट सावित्री व्रत के दिन बरगद के पेड़ की जड़ को पीले कपड़े में लपेट लें और इसे अपने पास रखें, ऐसा करने से घर में शुभता का वास रहेगा।