वासुदेव द्वादशी व्रत की पूजा विधि
वासुदेव द्वादशी के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद घर के पूजा स्थल की साफसफाई करके वहां गंगाजल के छींटे मारकर शुद्ध करें। तत्पश्चात भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा और व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद भगवान वामन की मूर्ति का अभिषेक करें। अभिषेक के लिए शंख में दूध डालकर स्नान कराएं। यदि घर में भगवान वामन की मूर्ति न हो तो भगवान विष्णु की मूर्ति की पूजा और अभिषेक किया जा सकता है। इसके बाद भगवान की आरती करें। फिर प्रभु को भोग लगाकर प्रसाद बांट दें।
इस दिन जरूरतमंद लोगों और बच्चों को भोजन कराने और दान आदि का भी महत्व बताया गया है। इसके अलावा मान्यता है कि आषाढ़ मास में किसी भी गुरुवार को दही, चावल या मिश्री का दान करने से भगवान विष्णु के वामन अवतार का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)