अक्षय तृतीया पर जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण अंचलो में परम्परा अनुसार पुतरी-पुतरा का विवाह रचाया गया। वहीं किसानो ने भी गांव के ठाकुर देव में परसा (पलास) के पत्तों का दोना बनाकर धान को मां अन्नपूर्णा को अर्पित किया। साथ ही अच्छी फसल की कामना करते हुए पांच कुंवारे बच्चों ने हल चलाया, धान के बीज का छिड़काव किया और पूजा के बाद उसी धान को किसानों को बांटा, जिसे खेतों में छिड़का गया। जानकारों का मानना है कि अक्षय तृतीया से किसानी का काम शुरू हो जाता है।
बालोद•May 10, 2024 / 11:55 pm•
Chandra Kishor Deshmukh
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